जावेद अख़्तर साहब को प्रतिष्ठित रिचर्ड डॉकिन्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जावेद अख्तर बॉलीवुड की उन हस्तियों में जिनकी रीढ़ की हड्डी अभी बची हुई है वो हर तरह की कट्टरता का विरोध करते हैं इसलिए उन्हें यह अवॉर्ड तर्कसंगत विचार, धर्मनिरपेक्षता और मानव विकास और मानवीय मूल्यों को अहमियत देने के चलते मिला है।
2014 से इस देश मे एक नैरेटिव सेट करने की शुरुआत हुई थी सारे सेक्युलर नकली है वो केवल बहुसंख्यक कट्टरता का विरोध करते है जावेद अख्तर से लेकर आमिर खान को उनके धर्म विशेष को लेकर विशेष रूप से टारगेट किया गया है हर बार उनसे यह पूछा जाता है कि आप कश्मीर पर क्यो नही बोलते..?? केरल पर क्यो नही बोलते?? आप को केवल आपका ही धर्म खतरे में दिखता है !! तो मैं उन सबको ऐसे बीसियों बयान बता दूं कि जब जावेद साहब ने मुस्लिम कट्टरपंथी ताकतों का पुर जोर विरोध किया था इसलिए जब कँगना के अंध समर्थक जावेद साहब को ट्रोल करते है तो मुझे उनकी बुध्दि पर तरस आता है
कँगना राणावत से कोई नही पूछेगा की उन्होंने कश्मीर के कठुआ की बच्ची के समय मुँह क्यो नही खोला था क्यो वो उस समय मोदी जी से अपील नही कर रही थी असल मे वो हर धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक नागरिक को सर्टिफिकेट बांट रही है जैसे दोनो पक्ष के कट्टरपंथी बाँटते है जावेद अख्तर साहब ने एक बार कहा था की जब तक दोनो पक्ष के लोग मुझे गालियाँ बक रहे है तब तक मुझे लगेगा मैं अपना काम सही ढंग से कर रहा हूँ किसी भी साइड की जरा भी गालियां बंद हो गई तो मैं समझूँगा की मैं बायस हो गया हूँ👍👍
नफरतों के सौदागर दोनों तरफ है बस देखने वाली निगाहे होना चाहिए, सबसे ज्यादा नफरत कौन फैलाता है वो पूरा देश जानता है कंगना को सबको सर्टिफिकेट देने से पहले अपने अंदर झांक लेना चाहिए. आज जैसे वो दुसरो के बारे में बोल रही है वो भी उनके बारे में ऐसा ही बोलते है इस दुनिया मे सब ब्लैक एंड व्हाइट नही होता है इसलिए कहता हूं सबके अपने अपने सत्य होते है लेकिन तथ्य एक ही होता है वो किसी से नही छुपता है जब कोई कलाकार सरकार का पीआर बनकर रह जाये तो उसे कलाकार कहना इस समय का सबसे बड़ा मजाक बन जाता है 🙏🙏🙏
भारत मे इस समय "विचार रूपी सागर मंथन" चल रहा है और याद रखिये सागर मंथन में अमृत दोनों पक्षों को मिला था लेकिन "हलाहल" केवल शिव ने पिया था, इस ब्रह्मांड में सभी सुर और असुर नही होते है कुछ जावेद साहब जैसे शिव भी होते है जो दोनो के हिस्से का "हलाहल" पीते है 🙏🙏🙏
उपयुक्त लेख के विचार लेखक के निजी है।
लेखक: अपूर्व भारद्वाज (फेसबुक से साभार)
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