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Saturday, 27 June 2020

वित्त आयोग और ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच बैठक संपन्न

वित्त आयोग ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ बैठक आयोजित की


15वें वित्त आयोग ने आज अपने सदस्यों सहित अध्यक्ष श्री एन के सिंह की अध्यक्षता में ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) सड़कों के रख-रखाव पर 2020-21 के लिए इसकी रिपोर्ट में एफसी-XV द्वारा दी गई सामान्य रूपरेखा पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ बैठक आयोजित की। बैठक में आयोग के टीओआर के प्रावधानों के भीतर 2021-26 की अवधि के लिए राज्यों द्वारा अनुशंसित किए जाने वाले अनुदानों/निष्पादन प्रोत्साहनों पर एफसी-XV के विचारार्थ पीएमजीएसवाई सड़कों के रख-रखाव के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रस्तावों के साथ ग्रामीण विकास के लिए भारत सरकार द्वारा हाल में की गई घोषणाओं पर भी चर्चा हुई।


15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2020-21 के लिए अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के जरिये ग्रामीण संपर्क-मार्ग के मामले पर विचार किया है और अंतिम 20 वर्षों के लिए इस कार्यक्रम के जरिये सृजित सड़क परिसंपत्तियों के रख-रखाव के लिए सुनिश्चित निधि प्रवाह के महत्व को नोट किया है। अपनी रिपोर्ट में आयोग ने बताया है कि:

‘ग्रामीण सड़कें ग्रामीण विकास के लिए उत्प्रेरक और गरीबी उन्मूलन पहलों का एक उल्लेखनीय तत्व मानी जाती हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत अभी तक 5,50,528 किमी लंबी सड़क का निर्माण हो चुका है और सभी पात्र बस्तियों के 89 प्रतिशत को इससे जोड़ा जा चुका है। इस विशाल परिसंपत्ति के लिए निधियों की एक आवर्ती और पूर्वानुमानित प्रवाह की आवश्यकता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय सहित विभिन्न हितधारकों के साथ हमारी चर्चा के दौरान, हमारे संज्ञान में यह लाया गया है कि दुर्भाग्य से विकास कार्यों के लिए निर्धारित समस्त संसाधनों में पीएमजीएसवाई सड़कों के रख-रखाव को निम्न प्राथमिकता प्राप्त होती है।

इसलिए, हमारे विचार से पांच वर्षों के रख-रखाव के अनुबंध की समाप्ति के बाद पीएमजीएसवाई सड़कों के रख-रखाव के लिए प्रावधान करना बेहद महत्वपूर्ण है। समग्र संसाधन उपलब्धता तथा राज्यों द्वारा ऐसी परिसंपत्तियों के रख-रखाव की दिशा में उनके खुद के शर्त रहित संसाधनों से निधियों को निर्धारित करने के लिए प्रदर्शित प्रयासों पर आधारित हमारी अंतिम रिपोर्ट में इस मामले पर उपयुक्त तरीके से ध्यान दिया जाएगा।’  

कोविड-19 की वैश्विक महामारी के बाद, 20 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की चौथी किस्त में, भारत सरकार ने रोजगार को बढ़ावा देने के लिए मनरेगा हेतु आवंटन में 40,000 करोड़ रुपये की बढोतरी की घोषणा की। आयोग ने माना है कि इससे कुल मिला कर लगभग 300 करोड़ व्यक्ति दिवसों का सृजन होगा। यह मानसून सीजन में लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों तथा जल संरक्षण परिसंपत्तियों सहित बड़ी संख्या में टिकाऊ एवं आजीविका परिसंपत्तियों के सृजन समेत अधिक कार्य की आवश्यकता को पूरा करेगा। यह उच्चतर उत्पादन के जरिये ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 2020-21 से 2025-26 की अधिनिर्णय अवधि के लिए एफसी- XV को अपना ज्ञापन सौंपा जहां उन्होंने अनुशंसा की आयोग की अवधि के लिए 82,946 करो़ड़ रुपये (5 वर्षों के लिए) की आवश्यकता का अनुमान लगाया।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पीएमजीएसवाई सड़कों के लिए रख-रखाव निधियों पर एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया। प्रस्ताव के अनुसार, 2011 की जनगणना के अनुसार, 250 से अधिक आबादी वाली 45,614 बस्तियों को कोई सड़क संपर्क हासिल नहीं है। शेष बिना संपर्क वाली बस्तियों को जोड़ने का बोझ 130,000 करोड़ रुपये का वित्तीय निहितार्थ है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह भी अनुमान लगाया है कि पीएमजीएसवाई सड़कों के रख-रखाव के लिए वित्तीय बाध्यता निम्नलिखित होगी:

वर्ष

करोड़ रुपये में

2020-21

51552.88

2021-22

56053.64

2022-23

61766.74

2023-24

67611.95

2024-25

73141.96

2025-26

76466.83

 

मंत्रालय ने निम्नलिखित आधारों एवं शर्तों पर 15वें वित्त आयोग में रख-रखाव अनुदान को शामिल करने को कहा हैः

  • रख-रखाव के लिए क्षेत्रवार अंतःक्षेप के रूप में एफएफसी अनुदान सहायता।
  • राज्यों की पात्रता की गणना के लिए प्रतिपत्र के रूप में राज्य के पिछड़ेपन तथा पीएमजीएसवाई सड़कों की लंबाई का उपयोग किया जा सकता है।
  • पहाड़ी सड़कों के लिए लागत नियम सामान्य लागत के 1.2 पर अधिक होंगे।
  • राज्य की रख-रखाव नीति, ई-मार्ग, राज्यों का खुद का बजट योगदान आदि जैसी सुशासन पूर्व शर्तें अनिवार्य होंगी।
  • ग्रामीण/पीएमजीएसवाई सड़कों के लिए अलग से बजट।
  • फंड निष्पादन कार्य करने वाले विभाग को अंतरित किया जाएगा।
  • राज्य के हिस्से के लिए कहा जा सकता है।
  • उपयोग के आधार पर अगले वर्ष का आवंटन।

आयोग की चर्चा सार्थक रही एवं उसने इस मामले में अपनी अनुशंसाएं करने में मंत्रालय के सुझाव पर विचार करने का वादा किया।

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