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Tuesday, 23 June 2020

खान मंत्रालय ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परियोजना प्रस्तावों को आमंत्रित किया।

      खान मंत्रालय घोषणा संख्या एमईटी4-14/1/2020 द्वारा निम्नलिखित महत्व वाले क्षेत्रों, जिनका खनन एवं औद्योगिक अनुप्रयोगों के लागू एवं टिकाऊ पहलू, खनिज अवयव क्षेत्र से प्रत्यक्ष संबंध है, में तीन वर्षों की अवधि के लिए अकादमिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक संस्थान से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय संस्थानों एवं अनुसंधान एवं विकास संस्थानों से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परियोजना प्रस्तावों को आमंत्रित करता है:


खनन में अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रखनन में अनुसंधान की सहायता के लिए व्यापक प्रमुख क्षेत्र नीचे दिए गए हैं: 

1.         रणनीतिक दुर्लभ एवं दुर्लभ पृथ्वी खनिज अवयवों के लिए ज्ञात खनिज भंडारों का अनुमान लगाना/उत्खनन

2.         नए खनिज संसाधनों का पता लगाने एवं दोहन करने के लिए भूमि एवं गहरे समुद्र में खनिज अवयव उत्खनन के लिए नई प्रौद्योगिकी का विकास

3.         खनन पद्धतियों में अनुसंधान। इसमें शामिल हैं रौक मेकैनिक्स, मइन डिजाइनिंग, खनन उपकरण, ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरणगत सुरक्षा एवं खान सुरक्षा। 

4.         प्रक्रिया, प्रचालन में दक्षता में सुधार लाना, उपोत्पादों की रिकवरी एवं निर्दिष्टीकरण तथा उपभोग नियमों में कमी

5.         निम्नतर ग्रेड एवं महीन आकार अयस्कों का उपयोग करने के लिए धातु विज्ञान एवं खनिज अवयव लौह अयस्क सज्जीकरण तकनीकों में अनुसंधान

6.         खान अपशिष्ट, प्लांट टेलिंग्स आदि से मूल्य वर्द्धित उत्पादों का निष्कर्षण

7.         नए मिश्र धातुओं एवं धातु संबंधित उत्पादों, आदि का विकास

8.         निम्न पूंजी एवं ऊर्जा बचत प्रसंस्करण प्रणालियों का विकास करना

9.         उच्च शुद्धता की सामग्रियों का उत्पादन

10.       खनिज अवयव क्षेत्र के साथ जुड़े संगठनों के बीच सहकारी अनुसंधान

 

सहायता पर विचार करने के लिए अतिरिक्त भारांक निम्नलिखित स्थितियों में दिया जाएगा:

क.   संबंधित उद्योग के सहयोग के साथ वैज्ञानिक/अकादमिक संस्थान द्वारा प्रस्तुत परियोजनाओं के लिए वरीयता

ख.   उच्चतर प्रौद्योगिकी तैयारी स्तर (टीआरएल), जो आदर्श रूप से पायलट स्केल प्लांट्स की ओर अग्रसर होते हैं, के साथ वाली परियोजनाओं, उच्च शुद्धता सामग्रियों पर परियोजनाओं, उन्नत मिश्रित धातु उत्पादों, अपशिष्ट उपयोग, स्लैग्स/टेलिंग्स से रिकवारी, रिसाइक्लिंग, अर्बन माइनिंग आदि परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन

ग.   अवधारणा के पूर्व-विकसित प्रमाण के साथ प्रस्तावों के लिए प्रोत्साहन

घ.   जीएसआई द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध कराए गए जियोसाईंस डाटा पर आधारित मिनरल डिपोजिट टारगेटिंग

ड़.   अनुसंधान, अकादमिक संस्थान समन्वय के साथ परियोजना प्रस्तावों को विकसित करने के लिए प्रयोगशाला सहायता हेतु सरकारी एजेन्सियों तक पहुंच सकती हैं और उनसे करार कर सकती हैं।

च.   उत्पादों या सामग्रियों, जिनमें आयात प्रतिस्थापन की संभावनाएं हैं, के विकास पर परियोजनाओं के लिए वरीयता

3. वैज्ञानिक एवं तकनीकी योग्यता तथा उद्योग के लिए प्रासंगिकता: सभी संगठनों को मंत्रालय को परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत करने से पूर्व नीचे दिए गए निर्देशों का अनुपालन करना चाहिए:

क.   प्रस्ताव को खनन, उत्खनन, खनिज, धातु मूल्य वर्द्धन, अपशिष्ट एवं खनन तथा धातु विज्ञान प्रसंस्करण के पर्यावरणगत प्रभाव के समग्र अधिदेश के संगत होना चाहिए।

ख.   उद्योग इनपुट एवं भागीदारी

ग.   अवधारणा, पद्धति, नवोन्मेषण या अनुप्रयोग के लिहाज से मौलिकता

घ.   नई पद्धतियों का विकास, उन्नत सामग्रियों का संश्लेषण

डं.   प्रक्रिया सुधार एवं नवोन्मेषण

च.   उपकरण एवं अन्य अनुसंधान टूल्स की डिजाइन

छ.   अपशिष्ट/द्वितीयक/निम्न ग्रेड मैटेरियज रिकवरी के लिए प्रक्रिया विकास

ज.   शून्य अपशिष्ट खनन, बड़ा डाटा विश्लेषण एवं सिमुलेशन मोडेलिंग आदि

झ.   प्रायोगिक, मोडेलिंग/सिमुलेशन या दोनों के रूप में अध्ययन की प्रकृति

ट.   प्रस्ताव में उद्वेश्यों और प्रदायगी का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए

ठ.   अनुसंधान पद्धति, प्रयोगों की डिजाइन, विश्लेषणों की उपयुक्त एवं वैध चुनी हुई पद्धतियों का विवरण

ड.   प्रस्ताव में लक्षित/संभावित अनुप्रयोग क्षेत्र अगर उपयुक्त हो तो उद्योग का औचित्य, उद्योग की भागीदारी स्पष्ट होनी चाहिए,

ढ़.   पायलट संयंत्र और बाद में प्लांट के स्तर पर संभावित मापनीयता

ण.   तकनीकी आर्थिक लाभ क्या हैं (कम से कम मोटे अनुमान)

 

      विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) परियोजनाओं का वित्तपोषण परियोजना मूल्यांकन एवं समीक्षा समिति (पीईआरसी) द्वारा परियोजना मूल्यांकन की प्रक्रिया के जरिये खान मंत्रालय द्वारा अनुदान सहायता द्वारा किया जाता है और अनुशंसित परियोजनाएं मंत्रालय द्वारा गठित स्थायी वैज्ञानिक परामर्शी समूह (एसएसएजी) द्वारा अनुमोदित की जाती हैं।

      निबंधन और शर्तों के विवरण तथा अनुशंसित प्रोफार्मा के विवरण ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी‘-> खनन अनुसंधान की सहायता के लिए दिशा-निर्देश में वेबसाइट www.mines.gov. पर उपलब्ध है या इसे सत्यभाभा पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है जिसे research.mines.gov.in. पर देखा जा सकता है।

      परियोजना प्रस्तावों को सत्यभाभा पोर्टल(research.mines.gov.in) पर 22.08.2020 तक आनलाइन प्रस्तुत किया जा सकता है। पोर्टल पर एक यूजर मैनुअल भी उपलब्ध है जहां परियोजना प्रस्तावों को प्रस्तुत करने के लिए कदम वार प्रक्रियाओं को रेखांकित किया गया हैं। इसके अतिरिक्त, पोर्टल से जेनेरेटेड परियोजना प्रस्ताव की एक सॉफ्ट कॉपी पीडीएफ फॉर्मेट में ई मेल: met4-mines@gov.in. पर भेजे जाने की आवश्यकता है। जिन परियोजनाओं को शौर्टलिस्ट किया गया है, उन्हें दिल्ली में या किसी अन्य शहर में अपने प्रस्ताव को प्रस्तुत करने के लिए निदेशित किया जाएगा। टाइमलाइन इस प्रकार है:

विवरण

तिथि

सत्यभाभा पोर्टल पर पंजीकरण एवं परियोजना प्रस्तुति की शुरूआत  

22.06.2020

 

प्रस्तावों की प्राप्ति की अंतिम तिथि                            

22.08.2020

प्रस्तावों की स्क्रूटनी                           

सितंबर के दूसरे सप्ताह तक

पीईआरसी बैठक का संचालन                

अक्तूबर के पहले सप्ताह तक

एसएसएजी बैठक का संचालन                 

अक्तूबर के चौथे सप्ताह तक

 

      अनुदान सहायता भारत सरकार के निबंधन एवं शर्तों द्वारा संचालित की जाएगी जैसाकि समय समय संशोधित किया जाता है। संस्थान के प्रमुख कृपया सुनिश्चित करे कि खान मंत्रालय की एसएंडटी प्रोग्राम स्कीम के तहत उनके संस्थान द्वारा कार्यान्वित की जा रही किसी भी परियोजना के तहत कोई भी उपयोगिता प्रमाण-पत्र परियोजना प्रस्तावों के विचारार्थ एक वर्ष से अधिक समय तक लंबित न रहे।

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