आप आपातकाल की बरसी मना कर सहानुभूति बटोर रहे सत्तासीन लोगो खुद क्या कर रहे हैं ?
कल शाम को पता चला कि शिल्पी चौधरी जो कि सपा से हैं वो 3 दिन से पुलिस हिरासत में है, कल उनकी जमानत नामंजूर हो गई थी अतः 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
उनका जुर्म बस इतना था कि कानपुर में हुए बालिका गृह कांड पर विरोध प्रकट करने के लिए वह अकेले ही लखनऊ में गाँधी प्रतिमा के समक्ष योगी सरकार के कृत्यों का गांधीवादी तरीके से धरने पर बैठ गई।
धरना देने के जुर्म में उन्हें पहले प्रशासन की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया...... उनकी कल जमानत हो जानी थी पर वो भी नही हुई,
नवनीत जी बता रहे हैं कि इन दिनों कोरोना की वजह से शायद नए कैदियों को जेल की वजह से किसी अन्य जगह क्वारन्टीन सेंटर में रखा जा रहा है, रामस्वरूप कर के कोई कॉलेज है लखनऊ में जहां इस तरह से अस्थाई जेल बनाई गई है क्वारन्टीन सेंटर की तरह।
नए सिरे से जमानत अर्जी दाखिल करने में जो प्रक्रिया समय लगेगा उसके अनुसार शायद अगले 4-5 दिनों का वक्त और लगेगा उन्हें बाहर आने में।
सत्ता से एक सवाल है आप किस दम पर आपातकाल मैं हुए अत्याचार की बात करते हैं?
अगर शिल्पी चौधरी की गिरफ्तारी जायज है तो आपातकाल भी जायज था।
इस तरह की दोहरी नीतियां आपको सवालों के घेरे में खड़ा करती हैं।
किंजल सिंह
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