प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा चीन में शहीद हुए सैनिकों के ऊपर दिए गए एक वक्तव्य को लेकर सोशल मीडिया और खबरी जगत में रोष व्याप्त है, सब उसको सुनकर यही सवाल पूछ रहे हैं की, क्या यह भाषा है एक प्रधानमंत्री की।
सैनिक, स्टेट के राजनैतिक उद्देश्यों के लिए लड़ता है, लाशें गिनने के शौक से नही। जरा समझिए कि लाहौर या बीजिंग जीतने का लक्ष्य हो, तो एक जनरल के दुश्मन से दोगुने फौजी भी काम आएं, उसे हर्ज नही होता, अगर युध्द का लक्ष्य पूरा हुआ हो। लक्ष्यहीन मौत, किसी फौजी का अभीष्ट नही होती।
चीन की सीमा पर तैनात कमांडिंग को नही पता कि उसके सैनिक क्यो मर रहे हैं। वह दूसरी ओर के जवानों को ज्यादा संख्या में मारकर खुश नही होगा। इस तरह से खुश सिर्फ दंगाई ही हो सकते है।
यह जो बयान है, भारत मे पैदा की जा चुकी दंगाई जमात को खुश करने का बयान है। मुझे अफसोस है कि यह बयान हमारे शीर्ष नेतृत्व से आ रहा है। मुझे अफसोस होगा अगर किसी के दिल को इस बयान से मरहम मिलता हो।
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