उत्तर प्रदेश पुलिस के 8 वीरों का वीरगति को प्राप्त करना सच में बेहद दुखद है। मन व्यथित है , पीड़ित है। डिप्टी एसपी स्तर तक के अधिकारी का शहीद होना चिंताजनक है।
योगी जी के मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश में इनकाउंटर की बाढ़ आ गयी थी। चुन चुन कर छोटे बड़े अपराधी या तो ढेर कर दिए गये थे या जेल में ठूस दिए गये थे। इनकाउंटर की इस आपाधापी में बहुत से इनकाउंटर पर सवाल भी उठे थे।
पर एके-47 जैसे हथियार रखने वाला 60 से अधिक रजिस्टर्ड अपराध करने वाला "विकास दूबे" ना तो गैंगस्टर घोषित हुआ , ना उसका इनकाउंटर हुआ और ना ही उसको जेल में ठूसा गया। योगीराज में छुट्टा घूमता रहा , 8 जवानों को मारकर फरार भी हो गया।
और शेक्सपीयर कहते हैं कि "नाम में क्या रखा है"।
अरे नाम में ही सबकुछ रखा है , इसी से उस नाम वाले के धर्म और फिर जाति की पहचान होती है। उसका ना तो इनकाउंटर होता है ना जेल में ठूसा जाता है। 60 दर्ज मुकदमों के बावजूद एक-47 धारी गिरोह लेकर छुट्टा घूमता है।
यह शेक्सपीर भी ना ?
इसी नाम के चक्कर में 8 जवानों का घर उजड़ गया , उनके बच्चे यतीम हो गये , पत्नियाँ विधवा हो गयीं , माँ बाप बेऔलाद हो गये।
समझे कि नाम में क्या रखा है ?
विभत्स तस्वीरें , ईश्वर इन शहीद जवानो की आत्मा को शांति दे और इनके परिजनों को दुख सहने की हिम्मत दे।
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