फूलन देवी :-
कोई यदि पूछें कि बलात्कार पीड़ित महिला को क्या करना चाहिए तो मैं कहूँगा कि उसे "फूलन देवी" बनना चाहिए।
यद्धपि कानूनन यह गलत होगा , पर यह सवाल और जवाब केवल काल्पनिक ही है , लेकिन यदि बलात्कार पीड़ित महिला का कानूनन फूलनदेवी बना कर बलात्कारी को मारने की कानूनी व्यवस्था कराई जाए तो यह वास्तविक स्थीति कहीं उचित होगी।
गरीब मल्लाह के घर गुड़ा का पुरवा (उत्तर प्रदेश) में 10 अगस्त 1963 को जन्मी फूलन देवी केवल और केवल जातिगत भेदभाव की शिकार रहीं और इसी से परेशान होकर 11 साल की उम्र में फूलन देवी का विवाह उनसे उम्र में 25 साल बड़े पुत्तीलाल से कराकर उनको गांव से बाहर भेज दिया गया।
11 साल की उम्र शादी का मतलब भी समझने की नहीं होती पर उसी उम्र में फूलन देवी को पुत्तीलाल द्वारा यौन प्रताणना झेलना पड़ा और इसके बाद वो वापस अपने घर भागकर आ गई। घर आकर फूलन देवी अपने पिता के साथ मजदूरी में हांथ बंटाने लगी।
फूलन देवी का पूरा मामला ही जातिगत आधार पर एक निम्न जाति की औरत से उच्च जाति के लोगों द्वारा किए बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की पराकाष्ठा का उदाहरण है।
और आप क्या कहेंगे जबकि महज 15 साल की उम्र में फूलन देवी को बेहमई के ठाकुरों (राजपूतों) ने पूरे गाँव में चारों ओर उसे नंगा करके घुमाया और फिर गांव के घर के एक कमरे में बंद कर दिया गया और तीन सप्ताह अर्थात 21 दिन तक लगातार उनके साथ बलात्कार तथा सामूहिक बलात्कार किया।
इसे आप क्या कहेंगे ?
फूलन देवी तीन सप्ताह की कैद से भागने में सफल रहीं पर उसे कहीं न्याय नहीं मिला बल्कि वह जिनसे न्याय माँगने गयी उन कानून के रक्षकों ने भी उनका बलात्कार किया।
न्याय के लिए दर-दर भटकती फूलन देवी ने तब बंदूक उठाने का फैसला किया और वो डकैत बन गई। मैं फूलन देवी को एक डाकू से अधिक जातिगत द्वेष के कारण बलात्कार हुई एक निम्न जाति की महिला के प्रतिशोध का प्रतीक कहूँगा।
फूलन देवी का हर किसी ने यौनशोषण किया , 11 साल की आयु में उसके पति पुत्तीलाल ने , 15 साल की आयु में 21 दिन तक गाँव के ठाकुरों ने , फिर कानून के रक्षकों ने और फिर चंबल के बीहड़ में डाकू गुर्जर ने।
मल्लाह जाति की फूलन देवी पर जिसकी नज़र पड़ी उसी ने उनको रौंदा और उनका यौन शोषण किया , सिवाय डाकू बाबा मुस्तकीम के।
बाबा मुस्तकीम कालपी कोतवाली क्षेत्र के ग्राम गुलौली के निवासी थे। बाबा ने अस्सी के दशक में दिन में ही मुख्य बाजार टरननगंज में ही पूरे गिरोह के साथ आकर तेल व्यापारी ओमी सेठ और सर्राफ राधे गुप्ता का अपरहण करके दहशत फैला दी थी। बाबा ने अमीरों को लूटकर और गरीबों की मदद करके उनके बीच अपनी लोकप्रिय छवि बना रखी थी।
दरअसल चारों तरफ से अपनी देंह को छलनी कराकर फूलनदेवी जब बाबा मुस्तकीम के पास पहुँची तो बाबा ने औरों की तरह फूलन देवी का देह शोषण करने की बजाय बेटी बनाया और उनके हवाले अपने गिरोह के आधे लोगों को कर दिया।
फूलन देवी ने सबसे पहले अपने पहले अपराधी पति पुत्तीलाल को मारा और फिर बेहमई में 21 ठाकुरों की उसी जगह हत्या करके अपने अपमान का बदला ले लिया जहाँ उनको नग्न करके घुमाया गया था।
इसके बाद पुलिस की ताबड़तोड़ कार्यवाही में फूलन देवी की मदद की कीमत बाबा मुस्तकीम ने इनकाउंटर होकर चुकाई।
आज उस महान विरांगना फूलनदेवी की पुण्य तिथि है , उनको भावपुर्ण श्रृद्धांजली।
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