बहुत ठेठ देशी अंदाज में समझाना चाहूंगाl राफेल
हम अपनी कार में जीपीएस ट्रैकर लगवाते है, यदि गाड़ी को कोई और चला रहा है और आपके हाथ मे जीपीएस ट्रैकर है तो आप अपने फोन से ही उस गाड़ी को रोक सकते है, अगला सर पटक लेगा लेकिन गाड़ी स्टार्ट नही कर पाएगा, जब तक कि कोई मेकैनिक आ कर वो जीपीएस ट्रैकर स्टीयरिंग में से निकाल न दे।
यही हुआ है राफेल के साथ, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नही हुई है,, जिस दिन फ्रांस के साथ रिलेशन गड़बड़ होंगे जो कि जाहिर है जब नेपाल जैसे देश के साथ भी उनके रहते यह हुआ है तो किसी न किसी दिन जिओ पॉलिटिकल समीकरण बदल गए तो फ्रांस जुस्सा कर के इन राफेल को वही से बंद कर देगा,,और इसके मेकैनिक भी नही आ पाएंगे ,,अंततः फ्रांस के आगे भारत को झुकना ही पड़ेगा कि हमारे राफेल स्टार्ट कर दो प्लीज।
इस डील में एक देश जो दूसरे देश को गारंटी देता है वो क्लाज भी हमारे माननीय ने हटा दिया है, ऐसे में अब कही किसी अंतराष्ट्रीय पटल पर शिकायत की भी गुंजाइश नही बची है।
डसाल्ट को जो बैंक गारंटी देनी थी, वो क्लाज भी हमारे माननीय साहब ने हटा दिया है।
लेकिन फिर भी दलाल अनपढ़ गंवार मीडिया वाले ढोल बजा रहे है कि चाइना डर गया पाकिस्तान डर गया बेवकूफ कहीं के। सॉरी ये तो बंदर है जो नाच रहे है मदारी कहीं दूर गुरुकुल वाले चाणक्य है जो हंस रहे है।
नवनीत चतुर्वेदी जी का लेख।
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