उत्तर
प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूह की
महिलाओं द्वारा स्वदेशी ‘प्रेरणा’ राखी बनाई जा रही है। ये राखियां चीन की
राखियों को मात दे रही हैं। समूहों द्वारा प्रदेश में अभी तक करीब 25 लाख
रुपये की राखी तैयार की गई है। करीब एक करोड़ रुपये की बिक्री हेतु राखी
बनाने का लक्ष्य है। इस कार्य में समूह की दीदियों द्वारा लगातार कार्य
किया जा रहा है।
समूह
की महिलाएं बाजार में राखियों को बिक्री के लिए दे रही हैं, जिसका परिणाम
अच्छा आ रहा है। स्थानीय बाजारों में इन राखियों की काफी मांग है। समूह की
दीदियों द्वारा स्थानीय स्तर पर स्टॉल लगाकर भी राशियों की बिक्री की जा
रही है इसके साथ ही बड़े प्रतिष्ठान तथा थोक विक्रेता भी समूह की दीदियों से
संपर्क कर राखी की मांग कर रहे हैं तथा भारी मात्रा में इनको राखी बनाने
हेतु ऑर्डर भी दे रहे हैं।
उत्तर
प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका के मिशन निदेशक सुजीत कुमार ने बताया की
अयोध्या, आजमगढ़, बागपत, बहराइच, बलिया, बांदा, बस्ती, बिजनौर, देवरिया,
फर्रुखाबाद, गाजियाबाद, हमीरपुर, हरदोई, झांसी, कन्नौज, कानपुर देहात,
कासगंज, लखनऊ, महाराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर,
प्रतापगढ़, उन्नाव, वाराणसी इत्यादि जनपदों में राखी बनाने का कार्य चल रहा
है।
उन्होंने
बताया की राखी निर्माण के कार्य में 196 समूह तथा लगभग एक हजार महिलाएं
लगी हुई हैं। अभी तक 177170 राखी तैयार कर ली गई है। करीब 25 लाख रुपये की
राखी बिक्री के लिए तैयार है। समूह की महिलाएं 127 दुकानों के माध्यम से
249300 की राखी की बिक्री कर चुकी हैं। सोमवार से महिलाएं पूरी तरह से राखी
बिक्री का कार्य करेंगी।
श्री
कुमार ने बताया कि राखियों को बनाने में स्वदेशी सामग्री का ही प्रयोग
किया जा रहा है तथा कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को
स्वदेशी राखी मिल सके। उन्होंने बताया कि पहली बार इतनी भारी मात्रा में
राखी का निर्माण समूह की दीदियों द्वारा किया जा रहा है। राखियों को
स्थानीय बाजार के साथ अन्य प्रदेशों में भी बिक्री के लिए भेजा जा रहा है।
मिशन
निदेशक ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा रंग-बिरंगी
राखियां तैयार की जा रही हैं। राखियों में बच्चों के लोकप्रिय कार्टून
कैरेक्टर को भी शामिल किया गया है। डोरेमोन, मोटू-पतलू, छोटा भीम जैसे
करेक्टर की कार्टून राखी बनाई जा रही है। राखी की बिक्री से समूह की
महिलाओं का हौसला बढ़ेगा। स्वदेशी राखियां चीन की राखियों को मात दे रही
हैं। मेक इन इंडिया को मजबूती देने के लिहाज से उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण
आजीविका मिशन आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा कर कार्य कर रहा है।
उन्होंने
बताया कि समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित राखियों की बिक्री को बाजार
उपलब्ध कराने हेतु तैयारी कर ली गई है इसके लिए विकासखंड स्तर पर स्टाल भी
लगाया जाएगा और शहरी क्षेत्रों में भी इस तरह का अस्थायी स्टाल लगाकर
राखियों की बिक्री समूह की महिलाओं द्वारा की जाएगी।
इस
कदम से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी तथा इसके परिणाम भी सार्थक आएंगे। राखी
बनाने के लिए इन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है। महिलाएं क्रोशिए की सहायता
से रेशम की डोरी तथा अन्य सामग्री को तैयार करती हैं। समूह की राखी प्रेरणा
राखी है जो आमजन को स्वदेशी की तरफ प्रेरित करेंगी। राखी के कार्य से
स्वयं सहायता समूह की दीदियों को अच्छी आमदनी हो रही है इससे वह पूरे
उत्साह के साथ राखी बनाने में जुटी हुई हैं।
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