व्यापारियों आवाज दो हम एक हैं।
आज कोरोना काल में सम्पूर्ण व्यापार जगत सुन्न पड़ा हुआ है और व्यापारी स्तब्ध हैं। विगत तीन चार माह से दुकानों के बंद होने से आम व्यापारियों का जीना दुभर हो गया है और वे दाने-दाने को मोहताज हैं।आलम यही रहा तो एक दिन इन व्यापारियों को कटौरा लेकर भीख मांगने को विवश होना पड़ेगा।
क्या सरकार किसानों, प्रवासी मजदूरों आदि की तरह व्यापारियों को भी संकट के इस घड़ी में कोई राहत पैकेज मुहैया करायेगी। गौरतलब है कि यह समुदाय देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और देश की खुशहाली के लिए हमेशा बढ़ चढ़ कर आगे बढ़ती रही है,तभी तो समय पर टैक्स का भुगतान करती है। बावजूद व्यापारियों का आज तक शौषण ही होता आया है और लालफ़ीताशाही का शिकार बनता रहा है।
कभी अधिकारियों का,कभी राजनेताओं का तो कभी गुंडा मवालियों के कारण प्रताड़ित किया जाता रहा है।क्या दुःख के इस घड़ी में सरकार इन्हें कोई राहत पहुंचाने में मददगार साबित होगी या फिर नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित होगी।
हेमू यादव
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