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Friday, 31 July 2020

एनएफएसए के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान की जिम्मेदारी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की है

देश भर में मानदंडों के अनुसार लाभार्थियों की पहचान करने की प्रणाली एकसमान है; एनएफएसए के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान की जिम्मेदारी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की है

मीडिया में छपी कुछ खबरों के अनुसारबिहार राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम2013 (एनएफएसए) के अंतर्गत राशन कार्ड जारी करने में लाभार्थियों की गलत पहचान और भेदभाव का आरोप लगाया गया है। उपभोक्ता मामलोंखाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग इस बात को स्पष्ट करता है कि एनएफएसए के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान कुछ मानदंडों के आधार पर की जाती है और इसकी जिम्मेदारी पूर्ण रूप से राज्य सरकारों पर होती है। बिहार में एनएफएसए के लाभार्थियों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव या उनकी गलत पहचान नहीं की गई है। सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मानदंडों के आधार पर लाभार्थियों की पहचान करने की प्रणाली एक समान है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम2013 (एनएफएसए) के अंतर्गतबिहार में लगभग 8.71 करोड़ लाभार्थियों के लिए कवरेज प्रदान किया गया हैजिसमें लगभग 25 लाख अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) वाले परिवार शामिल हैं।

डीओएफपीडी के अनुसारमई 2020 मेंबिहार राज्य द्वारा विभाग से अनुरोध किया गया था कि एनएफएसए के अंतर्गत व्यक्तियों को 100कवरेज प्रदान करने के लिए अर्थात् 8.71 करोड़ व्यक्तियों को शामिल करने के लिए मासिक आवंटन में वृद्धि की जाए। केंद्र सरकार ने राज्य के अनुरोध के जवाब मेंबिहार में एनएफएसए के कुल लाभार्थियों की अधिकतम सीमा को 8.71 करोड़ तक बढ़ाकर अनुमोदन प्रदान करने के लिए त्वरित कार्रवाई की।

हाल ही मेंडीओएफपीडी द्वारा बिहार राज्य को एनएफएसए के अंतर्गत कवरेज प्राप्ति के संदर्भ में रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया था और राज्य द्वारा यह बताया गया है कि राज्य में 15 लाख निष्क्रिय राशन कार्ड मौजूद हैं और मानदंडों के अनुसार उनको हटाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावाराज्य ने इस बात की भी पुष्टि की है कि 1.41 करोड़ मौजूदा राशन कार्डों के अलावा लगभग 23.39 लाख नए राशन कार्ड जारी किए गए हैं। राज्य ने यह भी सूचित किया है कि जुलाई 2020 माह का वितरण पूरा होने के बादएनएफएसए लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा और यह भी बताया गया है कि राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्न वितरण के लिए उनके पास अपनी अन्य कोई योजना नहीं है।

नियमित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गतकेवल केंद्र सरकार ही बिहार राज्य को प्रति वर्ष लगभग 55.24 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान प्रदान करती हैजिसमें लगभग 16,500 करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी भी शामिल है। इसके अलावा पीएमजीकेएवाई के अंतर्गतअप्रैल-नवंबर2020 की अवधि के लिए 12,061 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी के साथ-साथ लगभग 34.8 एलएमटी मुफ्त खाद्यान्न प्रदान की गई है। इसके अलावाआत्मनिर्भर भारत पैकेज (एएनबीपी) के अंतर्गतलगभग 322 करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी पर दो माह के लिए लगभग 86,400 मीट्रिक टन मुफ्त खाद्यान्न (लगभग 87 लाख प्रवासियों/महीने के हिसाब से) की अतिरिक्त मात्रा प्रदान की गई है।

इस प्रकारखाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग यह स्पष्ट करता है कि केन्द्र सरकार द्वारा वास्तव में बिहार राज्य के जरूरतमंद व्यक्तियों/परिवारों को खाद्य सब्सिडी केलाभों को उचित रूप से लक्षित करने की दिशा में हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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