बहुत दिनों से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का नारा नहीं सुनाई दिया. ये तब सुनाई दिया था जब बेरोजगारी का दबाया हुआ आंकड़ा लीक हो गया था. उल्लू बनाने का प्रोजेक्ट था. 5 ट्रिलियन डॉलर के उल्लूज. अब जब करीब 15-16 करोड़ से ज्यादा नौकरियां छिन गई हैं, इसका कोई नामलेवा नहीं बचा है।
बीजेपी ने 2014 में वादा किया कि हर साल युवाओं को दो करोड़ रोजगार देंगे. युवाओं ने भरोसा किया. पांच साल बाद एनडीए सरकार का पहला कार्यकाल खत्म हुआ तो बेरोजगारी ने पिछले 70 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुकी थी. पहले तो बेरोजगारी का आंकड़ा छुपाया गया. बाद में डाटा लीक हुआ कि बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर है.
उसी दौरान मीडिया में खबरें आईं कि कि पिछले पांच साल में करीब पौने चार करोड़ नौकरियां चली गईं. ये नोटबंदी का मास्टरस्ट्रोक था.
इसके बाद महामारी आ गई. जब सामान्य दिनों में ये हाल था तो महामारी का तो माशाअल्लाह! लॉकडाउन में 12 करोड़ से ज्यादा नौकरियां जाने का अनुमान है.
सरकार ने अधिकारिक तौर पर तो नहीं बताया है, लेकिन इन खबरों की मानें तो पिछले छह साल में करीब 16 करोड़ नौकरियां चली गई हैं.
इतिहास में ये भी पहली बार हुआ है कि करोड़ों नौकरियों का वादा करके करोड़ों नौकरियां छीन ली गईं. मजेदार ये है कि सरकार कह रही है कि अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही है.
कृष्ण कंट जी की पोस्ट।
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