भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान का मानना है कि महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कोई नया प्रोत्साहन पैकेज देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय यह अधिक महत्वपूर्ण होगा कि सरकार पहले जिस पैकेज की घोषणा कर चुकी है, उसे खर्च किया जाए।
जालान ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि
वित्तीय प्रोत्साहन पहले ही दिया जा चुका है। आप पहले जो घोषणा कर चुके हैं
उसे खर्च करने की जरूरत है। इसके अलावा विभिन्न घोषणाओं का क्रियान्वयन
करने की जरूरत है। यह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को फिर बढ़ाने से अधिक
महत्वपूर्ण है।’’
सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने
के लिए मई में 20 लाख करोड़ रुपये के ‘आत्मनिर्भर भारत’ पैकेज की घोषणा की
थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपने पहले से घोषित सभी संसाधन खर्च कर दिए
हैं, तो उसके बाद राजकोषीय घाटे को बढ़ाया जाना चाहिए।’’ अभी तक सरकार तीन
दौर के प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा की चुकी है।
आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज ने हाल में कहा था कि वित्त
मंत्री निर्मला सीतारमण जल्द अगले दौर के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा
करेंगी।
देश की वृहद आर्थिक स्थिति पर एक सवाल के जवाब में जालान ने कहा कि
कोविड-19 का आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। लेकिन अब भारतीय
अर्थव्यवस्था पुनरोद्धार की राह पर है।
केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘ऐसी उम्मीद है कि
नौकरियों और वृद्धि में जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई 2021 के अंत तक हो
जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि यदि अगले कुछ माह के दौरान कोविड-19 का संकट फिर
शुरू नहीं होता है, तो 2021-22 में निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था की स्थिति
सुधरेगी। उन्होंने कहा कि 2021-22 में वृद्धि दर 6 से 7 प्रतिशत रह सकती
है।
हालांकि, इसके साथ जालान ने कहा, ‘‘इसके लिए हमें इंतजाार करना
होगा। देखना होगा कि कोविड-19 का संकट और तो नहीं बढ़ता है।’’ रिजर्व बैंक
का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत
की गिरावट आएगी। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) तथा विश्व बैंक ने
भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रमश: 10.3 प्रतिशत और 9.6 प्रतिशत की गिरावट का
अनुमान लगाया है।
जालान ने कहा कि सरकार ने महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को
प्रोत्साहन के लिए नीतियों की घोषणा कर महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने
कहा कि भारत के समक्ष मुख्य मुद्दा नीतियों के क्रियान्वयन का है।
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