रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ जारी सैन्य गतिरोध के बीच बुधवार
को कहा कि भारत अपनी सीमाओं पर यथास्थिति में बदलाव की कोशिशों को लेकर
सतर्क है और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी दुस्साहस से निपटने
को तैयार है।
सिंह ने यहां येलाहंका वायुसेना स्टेशन में आयोजित
‘एरो इंडिया-2021’ के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘हम अपनी विवादित सीमाओं पर
यथास्थिति बदलने के लिए बल की तैनाती के कई दुर्भाग्यपूर्ण प्रयासों को
लंबे समय से देख रहे हैं।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘भारत अपने लोगों एवं क्षेत्रीय अखंडता की हर
कीमत पर रक्षा करने के लिए किसी भी दुस्साहस का सामना करने और उसे मात देने
के लिए सतर्क एवं तैयार है।’’
भारत और चीन के बीच पिछले साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में सैन्य
गतिरोध बना हुआ है। दोनों देशों ने इस गतिरोध को सुलझाने के लिए कई दौर की
वार्ता की है, लेकिन इसमें कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है।
सिंह ने
कहा कि भारत की योजना बड़े एवं जटिल मंचों के घरेलू विनिर्माण पर ध्यान
केंद्रित करते हुए आगामी सात से आठ साल में रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण पर
130 अरब डॉलर खर्च करने की है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्यात
एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर रक्षा
क्षेत्र में 2014 के बाद से कई सुधार किए हैं।
सिंह ने कहा कि
आत्म-निर्भरता एवं निर्यात के दोहरे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए, सरकार
ने एरोस्पेस एवं रक्षा सामग्रियों और सेवाओं में 35,000 करोड़ रुपए के
निर्यात समेत रक्षा विननिर्माण के क्षेत्र में 1,75,000 करोड़ रुपए की कुल
बिक्री हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आगामी सात से आठ साल में रक्षा आधुनिकीकरण पर 130 अरब डॉलर खर्च करने की योजना की।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अपने कई मित्रवत देशों की तरह भारत के सामने भी कई मोर्चों से खतरे और चुनौतियां पैदा हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि देश सरकार प्रयोजित आतंकवाद का पीड़ित रहा है और यह अब एक वैश्विक खतरा बन गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के रक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए हाल में कई कदम उठाए हैं।
मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बड़े एवं जटिल रक्षा मंचों का घरेलू विनिर्माण हमारी नीति का केंद्र बन गया है।
सिंह
ने कहा कि उन्हें सूचित किया गया है कि इस समारोह में 55 से अधिक देशों की
80 विदेशी कंपनियों, रक्षा मंत्रियों, प्रतिनिधि मंडलों, सेवा प्रमुखों
एवं अधिकारियों समेत करीब 540 प्रदर्शक हिस्सा ले रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह वैश्विक समुदाय में बढ़ते आशावाद को दर्शाता है।’’
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