वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट को निवेश, मांग और आर्थिक वृद्धि को
प्रोत्साहित करने वाला बताते हुए शनिवार को कहा कि उनकी सरकार की ओर से
उठाए गए सुधारवादी कदमों से भारत को दुनिया की एक शीर्ष अर्थव्यवस्था बनने
का रास्ता बनेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ दूसरे देशों में
कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप अब भी है, लेकिन यहां प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से काम हुआ और स्थिति से जिस तरह से
निपटा गया है उसका नतीजा है कि अर्थव्यवस्था सतत रूप से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने पूंजीपतियों के साथ साठगांठ करने के विपक्ष के आरोपों को दृढता
से निरस्त करते हुए गांव, गरीब और आम लोगों के कल्याण के लिए राजग सरकार की
तमाम योजनाओं और उनके लिए बजट में लगातार बढ़ोतरी किए जाने का जिक्र किया।
वित्त मंत्री ने एक फरवरी को 2021-22 का बजट पेश किया था, जिसमें 34.5 लाख
करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान है। कोविड-19 संकट के चलते अगले वित्त
वर्ष में राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
लोकसभा में
बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने देश की तरक्की में सरकारी
और निजी दोनों क्षेत्रों की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि
उनकी सरकार संपत्ति सृजन करने वालों का सम्मान करने में विश्वास रखती है
क्योंकि सम्पत्ति के बिना सरकार को पर्याप्त संसाधन नहीं मिल सकते।
उन्होंने कहा कि कोविड19 से निपटने के लिए लागू लाकडाउन के दौरान
दूसरे राज्यों से वापस लौटे कामगारों, किसानों, महिलाओं और गरीबों की
सहायता तथा मुफ्त राशन के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 2.7
लाख करोड़ रुपये के सहायता पैकेज के अलावा तीन अगलग अलग घोषित भारतनिर्माण
पैकेज कार्यक्रमों तथा रिजर्व बैंक की और से ऋण नीति के अंतर्गत सहायता को
मिला कर 27.1 लाख करोड़ रुपये की पैकेज योजनाएं जारी की गयी। इस तरह कुल
पैकेज 29.87 लाख करोड़ रुपये का रहा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महामारी की चुनौतीपूर्ण स्थिति
भी सरकार को देश के दीर्घकालीन विकास के लिए सुधार के कदम उठाने से नहीं
डिगा सकी। उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए
2021-22 के बजट में पूंजीगत व्यय के प्रावधान को बढ़ा कर 5.54 लाख करोड़
रुपये करने का लक्ष्य है जिससे नयी मांग और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा
मिलेगा और अर्थव्यवस्था को अधिक गति मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि
अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए चालू वित्त वर्ष में कोविड संकट के दौरान
भी पूंजी गत निवेश को बढ़ाए रखा गया और संशोधित अनुमान में पूंजी-व्प्यय
4.12 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
उन्होंने विपक्षी
कांग्रेस पर नाम लिये बिना निशाना साधा और कहा कि आजादी के बाद से सत्ता
में रहने वाली पार्टी को 1991 में आर्थिक सुधारों की बात सूझी और इस सरकार
से और प्रधानमंत्री से बार-बार आर्थिक सुधारों को लेकर सवाल पूछे जाते हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सदन में रहे।
सीतारमण ने कहा कि जनसंघ
के दिनों से लेकर आज तक भाजपा की आर्थिक नीतियां एकरूप रही हैं और सरकार
ने भारतीय उद्यमियों, व्यापारियों, युवाओं आदि के कौशल को सम्मान दिया है।
उन्होंने कहा कि मोदी नीत राजग सरकार ने करदाताओं, उद्यमियों और ईमानदार नागरिकों का सम्मान करते हुए इन नीतियों का पालन किया है।
सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने अभिभाषण में
किसानों, पूंजी सृजन करने वाले उद्यमियों (वेल्थ क्रियेटर्स) की बात की। इन
उद्यमियों के बिना अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी?
सीतारमण के जवाब के
समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। उन्होंने अपने भाषण के आखिरी
हिस्से में विपक्षी सदस्यों की टोकाटाकी के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष
और सांसद राहुल गांधी का नाम लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और
संस्थाओं का निरादार करने की प्रवृत्ति की तीखी आलोचना की। गांधी उस समय
सदन में नहीं थे।
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