विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दल ने बुधवार को चीनी शहर वुहान में
उस अनुसंधान केंद्र का दौरा किया जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर
अटकलों का विषय बना हुआ है।
वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई और वह
कहां से फैला, इस पर आंकड़े जुटाने और खोज के लिए चीन पहुंचे डब्ल्यूएचओ के
दल का वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का दौरा उसके अभियान का मुख्य बिंदु
है।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी चीन की शीर्ष विषाणु अनुसंधान
प्रयोगशालाओं में से एक है। वर्ष 2003 में सिवियर एक्यूट रेस्पीरेटोरी
सिंड्रोम (सार्स) महामारी के बाद चमगादड़ से फैलने वाले कोरोना वायरस पर
अनुवांशिक सूचना के संग्रह के लिए इस संस्थान का निर्माण किया गया।
चीन
ने वुहान से कोरोना वायरस के प्रसार की संभावना से न सिर्फ साफ इनकार किया
है बल्कि उसका कहना है कि वायरस कहीं और से फैला या बाहर से आयातित
प्रशीतित समुद्री उत्पादों के पैकेट से देश में आया है। चीन के इस तर्क को
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों एवं एजेंसियों ने बार-बार खारिज किया है।
संस्थान
की उप निदेशक शी झेंगली एक विषाणु विशेषज्ञ हैं। वह 2003 में चीन में
महामारी के रूप में फैले सार्स के उद्भव का पता लगाने वाले डब्ल्यूएचओ के
दल का भी हिस्सा थीं। उन्होंने कई पत्रिकाओं में लेख लिखे हैं और अमेरिका
के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन तथा अमेरिकी अधिकारियों के
सिद्धांतों को खारिज करने का काम किया है कि वायरस का इस्तेमाल जैविक
हथियार के रूप में किया गया या फिर संस्थान से यह ‘‘लीक’’ हुआ।
डब्ल्यूएचओ
के दल में 10 देशों से विशेषज्ञ शामिल हैं। दल ने दो सप्ताह पृथक-वास में
रहने के बाद अस्पतालों, अनुसंधान संस्थानों और मांस की बिक्री के लिए
पारंपरिक बाजार का दौरा किया। कोरोना वायरस के कई शुरुआती मामलों से इस
बाजार का संबंध है।
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