श्रीलंका ने कहा है कि उसने कोलंबो बंदरगाह के पूर्वी कंटेनर टर्मिनल
(ईसीटी) को विकसित करने के लिए भारत और जापान के साथ हुए त्रिपक्षीय समझौते
को इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि इसमें शामिल भारतीय कंपनी ने परियोजना की
नई शर्तों पर सहमत होने से इनकार कर दिया था।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के कार्यालय ने एक
फरवरी को कहा था कि उनकी सरकार ने कोलंबो बंदरगाह के ईसीटी को सरकारी
बंदरगाह प्राधिकरण के पूर्ण स्वामित्व के तहत संचालित करने का फैसला किया
है।
इस समझौते पर गुरुवार को संसद में विपक्ष के सवाल का जवाब देते
हुए बंदरगाह मंत्री रोहित अभयगुनवार्डना ने कहा कि इस सौदे की जांच के लिए
नियुक्त मंत्रिमंडल की एक उप समिति ने नई शर्तें प्रस्तावित की थीं।
उन्होंने संसद के बताया, ‘‘हमने एक अनुकूल स्थिति में बातचीत शुरू की,
लेकिन फिर उस कंपनी ने हमारी शर्तों को आगे मानने से इनकार कर दिया।’’
भारत, जापान और श्रीलंका ने टर्मिनल परियोजना के विकास के लिए 2019 में एक समझौता किया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इस महीने की शुरुआत में
कहा था कि कोलंबो बंदरगाह परियोजना में भागीदारी के लिए भारत की दिलचस्पी
लंबे समय से रही है क्योंकि वहां ज्यादातर सामान भारत से आता-जाता है।
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘कोलंबो बंदरगाह परियोजना में
भागीदारी करने के लिए भारत की दिलचस्पी लंबे समय से है, क्योंकि वहां
अधिकांश सामान भारत से आता-जाता है।’’
क्या श्रीलंका ने ईसीटी के बजाए कोलंबो बंदरगाह में पश्चिमी
कंटेनर टर्मिनल परियोजना को विकसित करने के लिए भारत को प्रस्ताव दिया है,
इस सवाल का जवाब देने से बचते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमने सैद्धांतिक तौर पर
श्रीलंका सरकार से यह समझौता किया था।’’
श्रीवास्तव ने आगे कहा, ‘‘हालांकि, मौजूदा सरकार ने निवेशकों को
सीधे तौर पर जोड़ने की इच्छा जतायी है। मैं समझता हूं कि अभी भी चर्चा चल
रही है।’’
भारत, जापान और श्रीलंका ने कोलंबो पोर्ट में ईसीटी के विकास के
लिए 2019 में एक समझौता किया था। लेकिन, भारत और जापान को परियोजना में
शामिल किए जाने को लेकर आंदोलन के बाद श्रीलंका सरकार ने पिछले सप्ताह यह
परियोजना एक सरकारी कंपनी को सौंपने का फैसला किया।
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