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Friday, 26 June 2020

दिल्ली दंगो में गिरफ्तार गैरमुस्लिम लोगों में 16 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता

दिल्ली दंगो में गिरफ्तार गैरमुस्लिम लोगों में 16 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता और पोस्ट होल्डर हैं। "द क्विंट" वेबसाईट के अनुसार इन सभी को हत्या के आरोप में धारा 302 , दंगों में शामिल होने पर धारा 147 , असलहे और विस्फोटक के साथ दंगा करने में धारा 148 , गैर कानूनी रूप से इकट्ठा होने पर धारा 149 और अपराधिक षडयंत्र करने पर धारा 120 B लगाई गयी है। इन सभी 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट भी फाईल हो चुकी है।

महत्वपुर्ण यह है कि यह सभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के ना सिर्फ सक्रिय सदस्य हैं बल्कि कुछ तो नियमित पदाधिकारी भी हैं।

इनमें पवन पुत्र श्री मोहन लाल , सुरेश पंडित , सोनू उर्फ अमित शर्मा पुत्र श्री ओम प्रकाश शर्मा , एस माहेश्वरी पुत्र श्री चंद्रा माहेश्वरी बिजली वाले , देवेश मिश्रा , जयवीर , सुशील और नरेश त्यागी तो संघ की शाखाओं के सक्रीय सदस्य हैं।

कहने का अर्थ मात्र इतना है कि आज़ादी के बाद से दिल्ली तक शायद ही देश का कोई ऐसा दंगा हो जिसमें संघ शामिल ना रहा हो , फिर भी सरकारों को उस पर प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नज़र नहीं आता।


यह है भारत के लोकतंत्र के प्रहरियों का असली रूप।

आज़ादी के समय से तमाम दस्तावेज और गृहमंत्री सरदार पटेल के तमाम बयान हैं कि संघ तब हुए दंगों में शामिल रहा , 1984 के सिख विरोधी दंगों में संघ के 12 से अधिक कार्यकर्ता पर तो केवल दिल्ली णें एफआईआर हुई है।

उसके बाद , मेरठ , मुरादाबाद , मलियाना , हाशिमपुरा , बनारस , कानपुर , अलीगढ , भागलपुर , किशनगंज , मुजफ्फर नगर जैसे देश में हुए हर दंगों में संघ का प्रत्यक्ष हाथ रहा है। 

आतंकी घटनाओं की बात करूँ तो 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर दरगाह धमाके में तो संघ के ही कार्यकर्ता देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को दोषी करार दिया है और आजीवन करावास की सज़ा सुनाई गयी।

संघ के खिलाफ और कितने सबूत चाहिए ? सिमी और अन्य संगठनों पर जितने सबूत के आधार पर प्रतिबंध लगाया गया है , संघ के खिलाफ तो उसके 100 गुना अधिक साक्ष्य और सबूत पब्लिक डोमेन में है।

महाराष्ट्र के आईपीएस और पूर्व आईजी एस एम मुशरिफ की किताब "करकरे के हत्यारे कौन" तो संघ के अपराध , दंगों और आतंकी घटनाओं का पूरा दस्तावेज है।

पर सरकार संघ की है , पहले भी जो रहीं वह भी अप्रत्यक्ष रूप से संघ की रहीं , जो आएँगी वह भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संघ की ही रहेंगी।

सरकारों का पक्ष में होना ही संघ के सभी अपराध को वैद्धता प्रदान करता हे।

कानून और संविधान कहाँ है ?

रिपोर्ट : मो जाहिद

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