कल से भारत चीन तनाव पर न्यूज़ चैनलो की रिपोर्टिग देखकर आश्चर्यचकित हूँ , बेहद अनुभवी एंकर दिबांग अभी एबीपी न्यूज पर थे उन्होंने कहा कि हम भारत सरकार के ऑफीशियल आंकड़ो का इंतजार भी नही कर रहे हैं और लगातार चीन द्वारा नेट पर डाले गए विजुअल चला रहे हैं यह बिल्कुल गलत बात है इस तरह से भारत का मीडिया चीन के ट्रैप में फंस रहा है......... न्यूज़ चैनलों को इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए
अभी कुछ देर पहले रिपब्लिक चैनल जो युध्दोंमाद फैलाने में सबसे आगे नजर आ रहा है कह रहा है कि मोदी सरकार ने सेना को 'खुली छूट' दे दी है ....कुछ और नासमझ न्यूज़ चैनल भी 'खुली छूट' की बाते कर रहे है !
दरअसल न्यूज़ चैनलों का बस एक ही काम रह गया है किसी तरह से भी मोदी सरकार को ज्वलंत प्रश्नों की आग से बचाकर रखना, उसे सेफ जोन देना..... भले ही उसके बदले में भारतीय सेना की साख ही खतरे में पड़ जाए ! .......मोदी सरकार को इंटेक्ट रखने के चक्कर मे आज तक जैसा चैनल खुलेआम भारतीय सेना पर सवाल उठा रहा है आज तक पर श्वेता सिंह कहती है कि पेट्रोलिंग सेना की जिम्मेदारी है न कि भारत सरकार की!..... यह क्या सिखा पढा रहे हैं जनता को?
कल से जैसा माहौल न्यूज़ चैनल बना रहे है वैसा टीवी पत्रकारिता के इतिहास में कभी नही देखा गया....... अभी हो यह रहा है कि तत्कालीन सरकार से तीखे सवाल न पूछे जाए इसके लिए भारतीय सेना की इच्छाशक्ति को ही कठघरे में खड़ा कर दिया गया है, यह बेहद हैरान करने वाली बात है.......
यह 'खुली छूट' का क्या मतलब है? क्या सेना कोई ऐसी संप्रुभ इकाई है जो अपनी मर्जी से युद्ध कर लेगी? यह मीडिया द्वारा कैसा मूर्खतापूर्ण नैरेटिव सेट किया जा रहा है?.........
लेखक : गिरीश मालवीय , साभार
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