पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल कहे जाने वाले दिल्ली से 80 किमी दूर "आनंद हास्पिटल" के मालिक "हरिओम आनंद" ने अपने मुरलीपुर स्थित फार्म हाउस में सल्फास खा लिया जिससे उनकी मौत हो गयी।
नोटबंदी से हुई बर्बादी की यह एक और दास्तान सुन लीजिए। यह उदाहरण यह समझने के लिए काफी है कि सनक भरे फैसले कैसे राष्ट्र और उसमें रहने वाले लोगों को प्रभावित करते हैं।
कहानी शुरु होती है मेरठ के रहने वाले हरिओम आनंद और अतुल कृष्ण से जिन्होंने मिलकर मेरठ में ही "सुभारती हॉस्पिटल" खड़ा किया था। हरिओम आनंद इस हास्पिटल का वित्तीय प्रबंधन देखते थे। पैसा उधार लेना , यहाँ से वहाँ घुमाना , ज़मीन खरीदना और फिर बेचना , उस लाभांश को "सुभारती अस्पताल" में लगाना ही हरिओम आनंद का मुख्य काम था।
पर आनंद और अतुल कृष्ण की महत्वाकांक्षाएँ आपस में टकराईं तो मनमुटाव हुआ और हरिओम आनंद ने 29 अगस्त 2007 को अपना अलग आनंद हॉस्पिटल खड़ा कर लिया।
बाज़ार से पैसे उठाना , ज़मीन में लगाना हरिओम आनंद के वित्तीय प्रबंधन का मुख्य हिस्सा था और इसी के बल पर नोटबंदी तक आनंद हास्पिटल "सुभारती हास्पिटल" को पछाड़ कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल बन गया। बड़े से बड़े डाक्टर वहाँ ओपीडी और आपरेशन करने आया करते थे।
नोटबंदी की घोषणा के पूर्व तक हरिओम आनंद करीब 500 करोड़ रुपए का कर्ज बाज़ार से उठाकर रियल स्टेट में खेल रहे थे। और अचानक मोदी जी 8 नवंबर 2016 को अवतरित होकर नोटबंदी की घोषणा कर देते हैं और रियल स्टेट का कारोबार धड़ाम हो जाता है।
ज़मीन और प्रापर्टी के दाम आधे हो जाते हैं और खरीददार बाज़ार से गायब हो जाते हैं। हरिओम आनंद के ₹500 करोड़ कर्ज़ नोटबंदी के कारण अनिश्चित काल के लिए फंस जाते हैं।
पर कर्ज़ा देने वालों को तो समय पर अपने पैसा चाहिए , वह कहाँ सब्र करने वाले ? डॉक्टर, बिजनेसमैन समेत कई लोगों के करोड़ों रुपये उन पर बकाया थे।
https://m.youtube.com/watch?v=WXcY6AdczJI
लंबे समय से पैसे ना दे पाने के कारण कर्ज देने वाले लोग उन पर दबाव बना रहे थे। इस दौरान कई बार कर्ज देने वालों ने पुलिस और प्रशासन का भी सहारा लिया।
https://m.youtube.com/watch?v=nHS70bC8VlA
यहाँ तक कि आनंद हास्पिटल में ओपीडी करने वाले सभी डाक्टर्स ने अपने पैसे ना चुकाने के कारण अस्पताल में ओपीडी और इलाज बंद भी किया।
https://m.jagran.com/uttar-pradesh/meerut-city-faced-with-financial-crisis-treatment-in-anand-hospital-stopped-from-today-19875655.html
कर्जे से परेशान हरिओम आनंद परेशान चल रहे थे। इसी के चलते उनकी तबीयत भी खराब थी। पिछले काफी समय से वे अपने मुरलीपुर स्थित फॉर्म हाउस में रह रहे थे ।
कल शाम उन्होंने वहीं सल्फास खाया और अपने ड्राईवर फारूख को बताया कि उनका बचना मुश्किल है , उन्होंने सल्फास खा लिया। फारूख उनको लेकर आनंद हास्पिटल भागा पर इलाज के बावजूद वह अपने उसी अस्पताल में सिधार गये।
उनकी बेटी मानसी आनंद ने "आपदा में अवसर" तलाशा और अपने पिता की आत्महत्या को वित्तीय लाभ में बदलने के लिए कर्ज देने वाले सभी लोगों के नाम पुलिस में देकर शिकायत कर दी कि यही लोग मानसिक प्रताणित करके मेरे पिता को आत्महत्या के लिए मजबूर किए।
हो सकता है कि सभी पर गैरईरादतन हत्या का मुकदमा भी दर्ज हो जाए।
यह एक छोटी सी घटना यह समझने के लिए है कि शासक की एक सनक कब तक और किस किस पर भारी पड़ती है। सुशांत सिंह राजपूत हो या हरिओम आनंद जैसी आत्महत्याएँ तो सामने आ गयी कुछ घटनाएँ हैं पर ऐसी ना जाने कितनी बर्बादी सामने नहीं आ पाती उनका मामला तो लोकल खबरों के कालम में कोने में दब जाता है।
भगवान सभी की आत्मा को शांति दे।
मोलेखक : जाहिद
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