आश्रय :- काँव काँव , झाँव झाँव के बीच पर्दे के पीछे देश में क्या क्या होता है यह समझने की ज़रूरत है। काँव काँव झाँव झाँव और कुछ नहीं बस देश में यह जो होता है उसे छिपा देता है।
कानपुर में एक बालिका आश्रम(शेल्टर होम) है , यहाँ तैनात चतुर्थ श्रेणी की एक महिला कर्मचारी के कोरोना संक्रमित पाए जाने पर जब शेल्टर होम की लड़कियों का कोरोना टेस्ट किया गया तो उस बालिका आश्रय गृह में 57 लड़कियाँ कोरोना पाज़िटिव पाईं गयीं।
अभी रुकिए , कहानी पूरी नहीं हुई है।
जाँच के दौरान यह पाया गया है कि इन 57 लड़कियों में 5 गर्भवती हैं और 1 ऐड्स पीड़ित है। आपको यह जान कर पीड़ा होगी की इन लड़कियों की उम्र मात्र 15 से 17 वर्ष की है।
अब कहानी पूरी हो गयी है।
आखिरकार देश में बहन बेटियों को आश्रय देने के नाम पर बनाए गये "बालिका आश्रय गृह" में क्या होता है ? इस पर नज़र रखने वाली देश की जनता मुस्लिम घृणा का लेमन्चूस चूस कर मस्त है।
उसे पता ही नहीं कि आश्रय देने के नाम पर उनकी 15-17 साल की बहन बेटी ऐय्याश लोगों के बिस्तर पर परोसी जा रही हैं।
ऐसी ही घटना मुजफ्फरपुर में भी हुई थी , जब मुख्यमंत्री नितीश कुमार के चहेते बृजेश ठाकुर द्वारा चलाए जा रहे आश्रय गृह बालिका गृहों में 40 से अधिक नाबालिग लड़कियों का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था।
73 पेजों की दाखिल चार्जशीट में सीबाईआई बृजेश ठाकुर पर यहाँ की बच्चियों के साथ रेप, दुष्कर्म और मर्डर के गंभीर आरोप लगाए हैं। बालिका गृह का यह राजनैतिक ताकतवर मालिक ब्रजेश ठाकुर और उसके 'गेस्ट' रोजाना बच्चियों के साथ रेप और यौन उत्पीड़न करते थे।
जब इनकी मेडिकल जांच कराई गई तो 29 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई। 3 बच्चियों का गर्भपात कराया गया तथा 3 बच्चियां ऐसी हैं जो अभी भी गर्भवती हैं।
बताईए , यह देश में "शेल्टर होम" अर्थात "आश्रय गृह" की हकीकत है।
ऑनर किलिंग के खतरे से अपने परिजनों से डरकर भागे प्रेमी जोड़े जब इस "शेल्टर होम" गये तो उस शेल्टर होम के मालिक की करतूतें देख हैरान रह गए। प्रेमी जोड़ों ने इसका दुनिया के सामने खुलासा किया कि शेल्टर होम में उनसे न सिर्फ कर्मचारी, बल्कि अन्य लोग भी हाथ-पैर दबवाते थे।
उनसे मालिश तक कराई जाती थी। शेल्टर होम में एक भी महिला कर्मचारी नहीं है। इसके अलावा, दो कमरों के शेल्टर होम में लड़कियों का कमरा चेयरमैन के कमरे में खुलता था। शाम होते ही चेयरमैन न सिर्फ खुद शराब पी लेता था, बल्कि वह लड़कियों को भी शराब पीने के लिए मजबूर करता था।
शेल्टर होम चेयरमैन ने पहाड़गंज स्थित शेल्टर होम में तीन खूंखार कुत्ते पाले हुए थे। जो कोई इनकी बात नहीं मानता था तो ये उन पर ये कुत्ते छोड़ देते थे। और ना जाने कितनी अनकही कहानियाँ सामने आईं , कितनी दबा दी गयीं।
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किसी बेसहारा को आश्रय देना उसको छत मुहैय्या कराना बेहद पुण्य का काम है। सरकार से फंड प्राप्त करने के उद्देश्य से इसी काम के लिए देश के हर जिले में तमाम एनजीओ , "बालिका आश्रय गृह" बनाकर सरकारी धन तो ऐठ ही रहे हैं , वहाँ इन पर भरोसा करके शरण के लिए आईं गरीब लाचार बेसहारा बहन बेटियाँ इन से अपना यौन शोषण भी करा रहीं हैं।
यह तो मित्र 3 शेल्टर होम का उदाहरण दिया है , गुगुल करने पर ऐसी संख्या सैकड़ों है जो सामने आए हैं , ना जाने कितने शेल्टर होम सफेदपोश की शराफत में छुप कर इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं जो सामने आ ना सके।
दरअसल देश और प्रदेश की सरकारों को ऐसे अधार्मिक अनैतिक मुद्दों पर गिरनी चाहिए पर जिस देश में राजनैतिक आधार पर ही धर्म और नैतिकता परिभाषित की जाए वहाँ इस पर क्या अपेक्षा की जाए।
बाकी , सरकारों का काम ही है लीपापोती करना , वह करना उनको बखूबी आता है। वह किया जाता रहेगा , हिन्दुत्व की वेदी पर ऐसी बहन बेटियाँ अपने शरीर का बलिदान देती रहेंगी। जो इसका विरोध करेगा उसे यूएपीए में अंदर कर दिया जाएगा।
लेखक : मो जाहिद
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