Deepak Aseem ने कोरोना काल में खुशी की आठ बातें लिखी हैं---
( सरकार ने जब जब कोरोनावायरस के बारे में हमें कुछ बताया है उसमें कोई न कोई खुशी की बात जरूर जोड़ी है। नागरिक होने के नाते हम सरकार के आभारी हैं कि उसने हमें खुशी की इतनी सारी बातें बताईं। सरकार ने सिलसिलेवार हमें जितनी खुशियां दी और जिस तरह से दी वह सब क्रोनोलॉजी के साथ आपके सामने प्रस्तुत हैं।)
1 - दुनिया भर में कोरोना फैला है लेकिन हम कोरोना से सुरक्षित हैं। खुशी की बात है कि हमारे यहां कोरोना का कोई केस अभी तक नहीं आया है।
2 - कोरोना हमारे यहां भी पहुंच गया है।मगर एकाध केस से कुछ नहीं होता। खुशी की बात है कि
हमने बहुत जल्दी कोरोना को पकड़ लिया है। हम उसे फैलने नहीं देंगे।
3 - हम मानते हैं कि कोरोना हमारे यहां भी फैल रहा है। मगर खुशी की बात यह है कि उसकी रफ्तार चिंताजनक नहीं है।
4 - कोरोना हमारे यहां भी तेज रफ्तार से फैलने लगा है मगर खुशी की बात यह है कि केस डबल होने में हमारे यहां ज्यादा दिन लग रहे हैं जबकि अमेरिका में यह कम दिनों में ही डबल हो रहा है।
5 - कोरोना के केस हमारे यहां बहुत जल्दी डबल हो रहे हैं मगर खुशी की बात यह है कि आबादी के लिहाज से हमारे यहां केस कम है।
6 - माना कि हमारे यहां हजारों में केस निकल रहे हैं। मगर 130 करोड़ की आबादी के लिहाज से यह केस बहुत कम हैं। खुशी की बात है कि अभी हमारे यहां आंकड़ा लाखों में नहीं पहुंचा।
7 - माना कि हमारे यहां लाखों में आंकड़ा पहुंच गया है मगर खुशी की बात यह है कि हमारे यहाँ मृत्यु दर कम है।
8- माना कि कोरोना पीड़ितों की मृत्यु दर में तेज़ी से इजाफा हो रहा है मगर खुशी की बात यह है कि सब को बचाने की कोशिश हो रही है। कोई भी बिना इलाज के नहीं मर रहा और कम्युनिटी स्प्रेड की तमाम बातें अफवाह हैं।
(अभी तक सरकार ने हमें खुशी की इतनी सारी बातें बताई हैं कि जो बताना शेष रह गया है, उसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। अब जो सरकार आखरी खुशी की बात कहेगी उसे भी मुलाहिजा कर ही लीजिए।)
9 - माना कि हम सभी को इलाज नहीं दे पा रहे और लोग बड़ी तादाद में मर रहे हैं, पर खुशी की बात है कि हमारे देश के सभी मरने वाले स्वर्ग जा रहे हैं। पड़ोस के देशों में जो मरे हैं वह नर्क गए हैं। सरकार की बात पर संदेह करने वाले मृतकों के परिजनों से पूछ सकते हैं कि उनके परिजन मरने के बाद स्वर्ग गए हैं या नर्क....
दीपक असीम का लिखा व्यंग पुष्कर नाथ शुक्ल के द्वारा।
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