आज जाकर पता चला पूरे देश में केजरीवाल की सरकार है. केजरीवाल ने वैट बढ़ा दिया और तेल महंगा हो गया. डीजल और पेट्रोल की महंगाई पर जितनी खबरें पढ़ीं, सबमें पेट्रोलियम मंत्रालय के हवाले से केजरीवाल सरकार के वैट बढ़ाने की चर्चा है. केजरीवाल तो दिल्ली के लिए जिम्मेदार हैं, फिर बाकी देश में तो ऐसा नहीं होना चाहिए!
अब देखिए कि दिल्ली के बाहर विभिन्न शहरों में डीजल के दाम क्या हैं:
दिल्ली में पेट्रोल 79.92 रुपये, डीजल 80.02 रुपये
गुजरात में 77.25 रुपये.
मुंबई में पेट्रोल 86.70 रुपये, डीजल 78.34 रुपये
चेन्नई में पेट्रोल 83.18 रुपये, डीजल 77.29 रुपये
कोलकाता में पेट्रोल 81.61 रुपये, डीजल 75.18 रुपये
बेंगलुरु में पेट्रोल 82.52 रुपये, डीजल 76.09 रुपये
भोपाल में पेट्रोल 87.71 और डीजल 78.98 रुपये
रांची में पेट्रोल 79.78, डीजल 75.91 रुपये
पटना में पेट्रोल 82.35, डीजल 75.91 रुपये
सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा और रायपुर में भी डीजल और पेट्रोल लगभग बराबर पहुंच गए हैं. तो क्या इन शहरों में भी केजरीवाल ने वैट बढ़ाया है?
यह बात सही है कि दिल्ली में वैट बढ़ाया गया. लेकिन बाकी देश में क्या? वहां पर क्या हुआ? जब दाम पूरे देश में बढ़ रहा है तो चर्चा सिर्फ दिल्ली की क्यों हो रही है?
इस बात को दबाया जा रहा है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरे तब केंद्र ने 14 मार्च को पेट्रोल, डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी. इसके बाद केंद्र ने 5 मई में पेट्रोल पर रिकार्ड 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया था.
केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर करीब 50 रुपये का टैक्स वसूल रही हैं.
मीडिया कह रहा है कि कुछ ही दिन में डीजल और पेट्रोल सौ रुपये के पार चले जाएंगे. अब केंद्र सरकार कहेगी कि इसके लिए या तो केजरीवाल जिम्मेदार हैं या फिर नेहरू.
अपने कारनामे का ठीकरा दूसरे के सिर फोड़ने की आदत अभी और रंग लाएगी. आप भी चाहें तो केजरी या नेहरू का इस्तीफा मांग सकते हैं.
लेखक : कृष्ण कांत
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