सवाल यह उठता है कि 59 चाइनीज़ ऐप बंद कर देने से चीन का क्या नुकसान हो जाएगा ? क्या चीन की अर्थव्यवस्था "मोबाईल ऐप" से चलती है ?
दरअसल मोदी और मोदी सरकार सबकुछ प्रतिकात्मक रूप से करती है , मोबाईल ऐप पर प्रतिबंध लगाना चीन का ठीक वैसा ही विरोध है जैसा कि थाली , घंटा बजाकर और दिया जलाकर कोरोना वरियर्स का समर्थन किया गया था।
जबकि कोरोना वरियर्स के लिए ना कोई सुरक्षा के उपाय किए गये ना पीईपी किट जैसी अतिआवश्यक चीज़ें मुहैय्या कराई गयीं। परिणाम यह हुआ कि डाक्टर्स , नर्स तथा पुलिस वालों के संक्रमित होने की खबरें लगातार आ रही हैं।
कुछ ऐसा ही ऐप पर प्रतिबंध लगाने से होगा। और कम से कम "टिकटाॅक" जैसे युवाओं में बेहद लोकप्रिय ऐप पर प्रतिबंध से युवाओं में मोदी सरकार और मोदी के प्रति नाराज़गी ही बढ़ेगी।
भारत में टिकटाॅक , यूट्यूब और फेसबुक से छोटे तो छोड़िए , बड़े बड़े सेलिब्रिटी का इस समय घर का खर्च चल रहा है। ऐप पर प्रतिबंध देश के लाखों युवाओं को ही बेरोजगार कर देगा।
दरअसल सरकार चीन मामले में फंस चुकी है और देश में चीन को लेकर उसकी नीति के प्रति भारी आक्रोश है , मोदी की 56" सीना वाली छवि खंड खंड हो चुकी है और बड़े से बड़े मोदी भक्त चीन को लेकर मोदी के डर और झूठ की आलोचना कर रहे हैं।
चीनी ऐप पर प्रतिबंध इसी जनता को भरमाने का ही एक प्रयास है जिसका भुगतान भी जनता ही करेगी। सरकार तो इन्ही ऐप कंपनीज़ से "पीएम केयर" में मोटा माल वसूलती रहेगी।
हिम्मत है तो चीनी कंपनीज से लिया सारा चंदा वापस करो , पाकिस्तान की तरह आयात-निर्यात पर प्रतिबंध लगाओ , चीन को दिया मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लो , और गलवान घाटी को पाने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करो। देश जब 2 महीने लाकडाऊन रह कर बर्दाश्त कर सकता है तो यह नुकसान भी सही।
बैन करो PAYTM, VIVO, OPPO, FLIPKART, SWIGGY, ZOMATO, HUWAIE, OLA, XIAOMI जैसी कंपनियों को।
कर पाओगे ? नहीं , क्युँकि फट्टू हो तुम और तुम्हारी सरकार , क्युँकि तुम्हारा उद्देश देश और जनता की भलाई नहीं बल्कि अपने उद्योगपति मित्रों की भलाई है और ऐसे फैसलों से चीन के ज़रिये होता उनका बहुत बड़ा व्यापार बंद हो जाएगा उनको आर्थिक हानि हो जाएगी।
जो कि नहीं होनी चाहिए , जनता और देश की हानि हो जाए तो होती रहे।
मो जाहिद
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