पिछले 5 दिनों से विकास दुबे फरार है , तब जबकि कोरोना की गाईडलाइन के अनुसार रात में 10 बजे से सुबह 5 बजे तक बाहर निकलना प्रतिबंधित है तब विकास दुबे उत्तर प्रदेश पुलिस के 8 लालों को आधी रात में शहीद कर के अपने गैंग समेत फरार हो जाता है।
दरिंदगी की इंतेहा देखिए कि दरिंदों ने सीओ देवेन्द्र मिश्र को घर के भीतर घेरकर धारदार हथियार से पैर पर वार किया पैर काटा और और फिर बाद में सिर से सटाकर गोली मारी गई। इससे उनका भेजा बाहर आ गया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि 54 वर्षीय पुलिस अधिकारी देवेन्द्र मिश्र के सिर, छाती, पेट और पैरों पर पांच बार गोली मारी गई थी। गोलियां उनके शरीर के पार निकल गई थीं। उनकी कमर के नीचे और पैरों पर भी गहरे घाव थे। डॉक्टरों ने कहा था कि वह कुल्हाड़ी जैसे किसी धारदार हथियार से मारने की वजह से हुए।
ऐसे शातिर गिरोह महामारी के प्रतिबंधित समय में भी कहाँ गायब हो गये यह आज 5 दिन बाद भी पता नहीं चल पाया। तो आप क्या समझते हैं कि यह पुलिस की नाकामी है ? माफ करिएगा , पुलिस को यदि फ्री हैंड देकर काम करने दिया जाय तो विकास दुबे चंद घंटों में फोटो खिंचाते मिलेगा।
यह नेताओं और सत्ताधारी ताकतों का वरदहस्त ही था कि 120 से अधिक मामलों का आरोपी विकास दुबे जिले के टाॅप 10 अपराधियों में शामिल नहीं था और ना ही माफिया और भूमाफिया के तौर पर जिले की किसी लिस्ट में शामिल था।
और पूरा थाना उसी को रिपोर्ट करता था , ऐसी भी खबर वायरल है कि कुछ दिन पहले ही वह थाने जाकर निलंबित थानाध्यक्ष को चप्पलों से पीटा और उनके मुँह में रिवाल्वर घुसेड़ दिया।
आपको क्या लगता है कि क्या यह सब शासन के समर्थन के बिना संभव है ?
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