नफरत के बीच सिकुड़ता भारत :-
कल काश्मीर में "बशीर अहमद" की लाश पर बैठ कर रोते उनके नाती की फोटो का संबित पात्रा ने जैसा मज़ाक उड़ाया उससे मुझे जर्मनी में 1945 के पहले के हिटलर राज की वह यहूदी महिला याद आ गयी जिसे वहाँ की पुलिस उसे दौड़ा दौड़ा कर मार रही थी और वहाँ के लोग भीड़ में उसके मारे जाने का आनंद ले रहे थे।
भारत को 1945 के पहले का जर्मनी बनने में 75 साल लग गये , यही है "न्यु इंडिया" , सबको बधाई।
बशीर अहमद की हत्या पर उनके परिजनों का आरोप अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ पर है कि सीआरपीएफ ने घर से निकाल कर उनको गोली मारी। जबकि सीआरपीएफ इस आरोपों से इंकार कर रही है।
https://bbc.in/31D3YWL
पर सोशल मीडिया पर "बशीर अहमद" की मौत को एक मुसलमान की मौत मान कर जश्न मनाया जाने लगा।
ठीक जर्मनी में हिटलर की हुकूमत में भी ऐसा ही होता था , यहूदी मारे जाते थे और वहाँ के बहुसंख्यक हँसी ठिठोली करके उसका मज़ा लिया करते थे।
दरअसल , भारत की सरकारें और यहाँ की बहुसंख्यक आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसी घृणा में मस्त है कि उसकी चुनी हुई सरकारें मुसलमानों को मार काट रही हैं।
उधर चीन क्या कर रहा है वह इससे बेपरवाह हैं , वह इसी मुगालते में हैं कि टिकटाॅक बंद हो गया तो चीन घुटने पर आकर मोदी जी से माफी माँगने लगेगा। चीन से व्यापार बंद हो जाएगा तो चीन कंगाल हो जाएगा।
ओ भाई , चीन की कुल अर्थव्यस्था 15 ट्रिलियन डाॅलर की है , अर्थात भारत की अर्थव्यस्था से 5 गुना अधिक , और चीन का भारत में निर्यात उसके कुल निर्यात का मात्र 2% है।
उसे इसकी कोई परवाह नहीं कि भारत में उसका व्यापार बंद हो या टिकटाॅक बंद हो। उसकी पहली प्राथमिकता अपने देश की सीमा को बढ़ाना है।
और इस कार्य के लिए उसके सामने सांप्रदायिकता की नफरत में बँटा अस्थिर भारत है , यही कारण है कि चीन ने एलएसी पर अपने 20 हज़ार सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। वह भारत की गलवान घाटी कब्ज़ा कर चुका है और इसके बावजूद वह सीमा पर अपने सैनिक बढ़ा रहा है पर भारत और यहाँ की सरकार इससे बेखबर है।
आप स्थीति समझिए कि उधर चीन एल ए सी पर अपने 20 हज़ार सैनिक बढ़ा रहा तो इधर भारत के प्रधानमंत्री चीनी सोशलमीडिया साईट वीबो से अपने पोस्ट डिलीट कर रहे हैं।
उनकी सोच के अनुसार तो ऐसा लगता है कि 113 पोस्ट डिलीट होते ही चीन को 20 हज़ार सैनिकों की तैनाती का मुँहतोड़ जवाब दे दिया जाएगा।
दरअसल मोदी का हर काम प्रतिकात्मक होता है और उनके समर्थक मोदी की इसी अदा के दिवाने हैं। जबकि धरातल पर देश की भोगोलिक सीमा सिकुड़ रही है। भारत बंग्लादेश सीमा पर भारत का एक हिस्सा प्रधानमंत्री पहले ही बंग्लादेश को दे चुके हैं , गलवान घाटी चीन ले चुका है तो नेपाल भारत के तीन गाँव कब्जा करके वहाँ भारतीयों के आने पर प्रतिबंध लगा चुका है।
दरअसल देश के प्रधानमंत्री जानते हैं कि उनके पास देश के 40% मुर्खों की फौज है जो उनकी हर बेवकूफी भरी अदा पर जान छिड़कते हैं।
हिटलर को भी यही गुमान था।
मो जाहिद
No comments:
Post a Comment