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Saturday, 4 July 2020

कोविड—19 के बाद स्वच्छ ऊर्जा भारत की आर्थिक रिकवरी में योगदान कर सकती है

एक नई रिपोर्ट में कोविड—19 के संदर्भ में स्वच्छ गतिशीलता और ऊर्जा प्रणालियों की ओर भारत के परिवर्तन के लिए चुनौतियों और अवसरों का उल्लेख किया गया है



भारत सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग की नई रिपोर्ट रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) और आरएमआई इंडिया में बताया गया है कि कोविड—19 कैसे भारत में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को प्रभावित कर रहा है और साथ ही आर्थिक रिकवरी की दिशा में सिद्धांतों तथा रणनीतिक अवसरों की पहचान कर रहा है और स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की दिशा में गति बरकरार रखता है।

स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की दिशा में: भारत के ऊर्जा एवं मोबिलिटी सेक्टरों के लिए कोविड—19 के बाद के अवसर इलेक्ट्रिक वाहन, ऊर्जा भंडारण और अक्षय ऊर्जा कार्यक्रमों समेत स्टिमुलस तथा रिकवरी प्रयासों की वकालत करते हैं।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड—19 महामारी पर नियत्रण के बाद रिकवर कर जाएगी। भारत की मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाएं नीतिगत स्थिरता को बढ़ावा देती हैं। यदि आगामी आर्थिक सुधारों का अच्छा परिणाम निकला तो ये देश की विकास दर को अन्य देशों से आगे रखेंगे।'

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, 'स्वच्छ ऊर्जा भारत की आर्थिक रिकवरी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का एक बड़ा संचालक बनेगी। हमने ऐसे विशेष कदमों की सिफारिश की है जिनसे भारत हमारे दो आर्थिक पावरहाउस—परिवहन तथा ऊर्जा सेक्टरो— को पुनर्जीवित कर सकता है और अधिक मजबूत हो सकता है।'

यह रिपोर्ट भारत के स्वच्छ भविष्य में सहयोग के ढांचे के तौर पर चार सिद्धांतों का खाका खींचती है: 1)निम्न लागत ऊर्जा समाधानों में निवेश, 2) उदारवाद को समर्थन तथा ऊर्जा प्रणालियों की सुनिश्चितता, 3) कुशलता और प्रतिस्पर्धा को प्राथमिकता तथा 4) सामाजिक और पर्यावरण समानता को प्रोत्साहन।

रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ निदेशक क्ले स्ट्रेंजर ने कहा, 'कोविड—19 ने पूरी दुनिया में उथल—पुथल मचा दी है और हर किसी के जीवन को प्रभावित किया है। भारत यदि रिकवरी प्रयास करना चाहता है तो स्वच्छ ऊर्जा और गतिशीलता प्रणालियां विनिर्माण को मजबूती देते हुए, इलेक्ट्रिसिटी की विश्वसनीयता बढ़ाते हुए, महंगे तेल के आयात को कम करते हुए और वायु को स्वच्छ रखते हुए भारत की विकास रफ्तार बढ़ा सकती हैं।'

यह रिपोर्ट बताती है कि भारत का परिवहन सेक्टर 1.7 गीगाटन एकमुश्त कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन बचा सकता है और वर्ष 2030 तक साझा, इलेक्ट्रिक तथा कनेक्टेड यात्री गतिशीलता एवं किफायती, स्वच्छ और अनुकूलित माल ढुलाई के जरिये लगभग 600 मिलियन टन तेल के बराबर ईंधन की मांग टाल सकता है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें सुश्री अशप्रीत सेठी से asethi@rmi.org पर

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