उम्मीद थी राज्य के अधिकारी, मंत्री, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, कोई तो इस लड़की को शब्बाशी देंगे, कोई तो कहेगा "तुम्हें रात के अंधेरे में डर नहीं लगता बेटी?", कोई तो कहेगा "Proud of you बेटी तुमपर पूरे देश को गर्व है"। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। ऐसा इस देश में हो भी नहीं सकता। इतनी रात, मंत्री जी के बेटे से भिड़ जाने में कितनी बार डर लगा होगा, कितनी बार हांथ कांपे होंगे ये तो इस बच्ची को ही पता होगा। लेकिन फिलहाल सभी देशवासियों को बधाई, इस लड़की ने इस्तीफा दे ही दिया है। जिसका नाम है सुनीता यादव। गुजरात पुलिस में कांस्टेबल हैं।
बात सूरत शहर की है, बीते दिन मंत्री जी के बेटे रात में अपनी कार से घूमने निकले, मास्क नहीं था, नाइट कर्फ्यू नियमों के तहत इस लड़की ने मंत्री जी के बेटे को रोक लिया, मंत्री जी के बेटे में रौब इतना था कि मामूली चेकिंग भी "दुस्साहस" लगी। मंत्री जी के लाड़ले बेटे "देख लेने" की धमकी पर आ आए, कहा कि "तुमको यहीं 365 दिन तक खड़े रहने की ड्यूटी लगवा दूंगा"। इसी बीच मंत्री जी के बेटे का एक दोस्त भी महिला कॉन्स्टेबल को मिडिल फिंगर दिखाता है। ये मिडिल फिंगर ही शानदार भारतीय कानून व्यवस्था की उच्चतम होती रैंक का प्रतिचिन्ह है। ये मिडिल फिंगर ही वर्तमान नियम-कानूनों को रिप्रजेंट करती है। मिडिल फिंगर बता रही थी कि कानून-संविधान सब, मंत्री जी की मिडिल वाली उंगली में ही तो लटका हुआ है। लड़की ने मंत्री जी को फोन लगाया। मंत्री जी भी अपने बेटे पर ही गए थे. हारकर लड़की ने अपने अधिकारियों से बात की, लेकिन इस बच्ची का साथ देने के बजाय, मामला रफा दफा करने के लिए दबाव बनाया। इतने पर ही मामला नहीं रुका, मंत्री जी के रुतबे के चलते महिला कांस्टेबल का तबादला भी कर दिया गया। गलती अधिकारियों की नहीं है, सिस्टम ऐसे ही काम करता है। जो मिडिल फिंगर लड़के ने दिखाई थी, वही इस देश का सिस्टम है, वही संविधान है, वही अधिनियम है, वही विधेयक है, वही हमारी नियति है नेताओं के आगे। प्रधानमंत्री ने तो आपको पहले ही आगाह किया था "बेटी बचाओ"
अगर बचा सको तो...
श्याम मीरा सिंह
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