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Wednesday, 22 July 2020

केन्द्र सरकार अभी भी मानने को तैय्यार नहीं है कि देश में सामुदायिक संक्रमण हो चुका है।

देश में इंकार का खेल

देश में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण बहुत पहले से शुरू हो चुका है पर सरकार मानने को तैय्यार नहीं। प्रतिदिन लगभग 40 हजार नये संक्रमित लोग लगातार सामने आ रहे हैं और देश में संक्रमित कुल लोगों की संख्या 1,201,727 तक पहुँच गयी है।


देश के तमाम मेडिकल विशेषज्ञों के साथ साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि भारत में बढ़ते मामले सामुदायिक संक्रमण का ही परिणाम है। 



पर केन्द्र सरकार अभी भी मानने को तैय्यार नहीं है कि देश में सामुदायिक संक्रमण हो चुका है।

दरअसल यह सरकार विफलता के नाम पर कभी कुछ भी नहीं मानती। यही इसका चरित्र है। यही देश के प्रधानमंत्री की रणनीति है कि देश जब भी संकट में पड़ा है वह 4-5 दिन के लिए चुप्पी साध लेते हैं और फिर एक नये जुमले के साथ टीवी पर अवतरित होते हैं।

बाकी का काम उनका "डागी मीडिया" करता है।

चीन ने गलवान घाटी को कब्ज़ा कर लिया , देश के प्रधानमंत्री राष्ट्र के संबोधन में खुल्लमखुल्ला इससे इंकार कर गये कि "ना तो हमारी सीमा में कोई घुसा है ना किसी ने हमारी पोस्ट कब्ज़ा किया है"।

जबकि तमाम मीडिया रिपोर्ट , सेटेलाइट और स्वयं सरकार की ही चीन के वापस 2 किमी जाने की खबर यह सिद्ध करती है कि प्रधानमंत्री ने देश से झूठ बोला।

ऐसे ही नोटबंदी की विफलता को भी सरकार नहीं स्विकार करती , 2016 के समय तक स्मूथ तरीके से चल रही अर्थव्यवस्था और बाज़ार पर देश के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करके "नोटबंदी" नाम जो बम मारा उसके परिणाम आज सामने आ रहे हैं। जीडीपी माइनस में जा चुकी है।

पर सरकार है कि मानने को तैय्यार ही नहीं कि नोटबंदी विफल रही और ना यह मानने को तैय्यार है कि देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी है।

जीएसटी का गलत तरीके से क्रियांवन भी पूरी तरह विफल रहा , व्यापारियों की पूँजी घट गयी , सरकार ने व्यापारियों के टैक्स पेड स्टाक पर दुबारा टैक्स लिया जबकि वादा करके भी पिछला टैक्स वापस नहीं किया। व्यापारी बर्बाद हो गये पर सरकार मानने को तैय्यार ही नहीं कि जीएसटी का क्रियांवन विफल रहा।

सरकार कब सच स्विकार्य करेगी ? देश की आत्मनिर्भरता खत्म होने को है और सरकार लोगों को "आत्मनिर्भर" बनाने का जुमला दिए जा रही है।

देश को कोरोना के संक्रमण से रोका जा सकता था , चीन में जब कोरोना हुआ था तभी एलर्ट हो जाना चाहिए था पर देश तब चीन पर मज़ा ले रहा था।

पर तब जब सरकार ही गंभीर नही थी तो देश के लोग कैसे गंभीर होते , 30 जनवरी 2020 को केरल में देश का पहला संक्रमित व्यक्ति जब मिला तब चीन में 2 महीने का कोरोना काल हो गया था। सक्षम सरकार होती तो तभी से सारी इंटरनैशनल फ्लाईट बंद करके विदेश से आने वाले भारतीयों का कोरोना टेस्ट कराती और कोरंटाईन कराकर उनके घर भेजती तो बहुत हद तक कोरोना का फैलाव रोका जा सकता था।

पर देश के लोगों को कोरोना से जागरूक करने , सेनेटाईज और सोशलडिस्टेन्सिंग का पालन कराने की बजाए "नमस्ते ट्रंप" जैसे इवेन्ट कराए गये और तब तक चीन में कोरोना 5 महीने का हो गया था।

इसे आप सरकार की लापरवाही नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे ? पड़ोसी देश में इतना खतरनाक संक्रमण फैला हो और हम उससे बचाव के तरीके अपनाने की बजाए देश में 1 करोड़ लोगों को इकट्ठा करके "इवेन्ट" करा रहे हैं।

आज देश के हर शहर का एक बड़ा हिस्सा कंटोमेन्ट जोन बन चुका है , छोटे छोटे शहर लाकडाऊन में बंद हैं , सारी अर्थ गतिविधियाँ डिस्टर्ब हैं , केवल सरकार की एक गलती के कारण।

देश में 500 केस भी नहीं थे , 60 दिन का पूरे देश में एक साथ लाकडाऊन लगा दिया , आज पूरे देश में कोरोना फैल गया है तो सरकार स्थानीय प्रशासन के भरोसे कोरोना को छोड़कर सो रही है।

60 दिन के लाॅकडाऊन ने देश की बचीखुची अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया जबकि तब कंप्लीट लाकडाऊन की ज़रूरत ही नहीं थी , आज जब सामुदायिक संक्रमण बढ़ चुका है तो देश को खुला छोड़ा जा रहा है।

सरकार की कोरोना को लेकर रणनीति क्या थी वह इस आँकड़े से समझिए

400 केस :- थाली बजाओ 600 केस :- लाकडाऊन-1
4000 केस :-दिया जलाओ 12,000 केस :- लाकडाऊन -2 
40,000 केस :- लाकडाऊन-3 80,000 केस :- लाकडाऊन- 4 2,00,000 केस :- अनलाॅक-1 5,50,000 केस :- अनलाक 2 10,00,000 केस :- भगवान भरोसे 12000000 केस :- राम भरोसे आपदा में अवसर तलाशिए।

मोदी जी को पता ही नहीं होता कि कब क्या करना है ? बस उनको ऊटपटांग फैसले लेना आता है और टीवी पर 8 बजे आकर उस फैसलों की अचानक जुमलों के साथ घोषणा करना आता है। ना कोई रणनीति ना कोई उचित प्रक्रिया और ना कोई कार्यपद्धति।

सरकार बंलंडर गलती पर गलती करती जा रही है।

आप मत मानिए सरकार , पर आपने जो देश की हालत कर दी है उससे देश अगले 25 साल में भी बाहर निकल जाए तो यह उसकी उपलब्धी होगी।

बाकी जस्टिस मार्कंडेय काटजू के अनुसार यह मुर्खों का देश है इसलिए आप चुनाव जीतते रहेंगे और आपकी सरकारें बनती रहेंगी।

देश का क्या ? 

देश को बचाना है तो खुद को बचाईए , सामुदायिक संक्रमण प्रारंभ हो गया है और यह लाकडाऊन-1 की तुलना में बहुत अधिक गंभीर खतरा लिए हुए है। 

बच कर रहिए , बहुत ही आवश्यक हो तो घर से निकलिए क्युँकि यदि आप चपेट में आ गये तो भीख माँगती सरकार के पास आपके लिए कुछ नहीं है।

जाहिद

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