बहुत दुखद है कि गाजियाबाद के विजय नगर इलाके में गोली लगने से घायल पत्रकार विक्रम जोशी की मौत हो गई है. विक्रम ‘जनसागर टुडे’ नाम के एक अख़बार में पत्रकार थे।
यशोदा अस्पताल में पत्रकार विक्रम जोशी का इलाज चल रहा था. विक्रम जोशी को विजय नगर इलाके में बदमाशों ने घेरकर गोली मारी थी. विक्रम जोशी पर हमला भांजी से छेड़छाड़ की शिकायत करने पर बदमाशों ने किया था. कल बदमाशों ने उनके सर पर सता कर कटते से फायर किया था, शर्मनाक है कि मौत से दो घंटे पहले ही विक्रम जी ने विजय नगर ठाणे के एक दरोगा को फोन कर किसी अनहोनी की आशंका और सुरक्षा के लिए अनुरोध किया था .
विक्रम जोशी के भांजे ने कहा कि उनका घर माता कॉलोनी में है. उनकी बहन पर ये लोग कमेंट करते थे. मामा ने विरोध किया. इसके बाद कमाल-उल-दीन के लड़के ने मामा के सिर में गोली मारी है. मामा उनकी बहन के बर्थडे को सेलिब्रेट करने आ रहे थे और बीच में ही बदमाशों ने घेरकर गोली मार दी.छोटू पुत्र कमालुद्दीन, आकाश विहारी और रवि पुत्र मातादीन अपने कुछ साथियों के साथ आए और मारपीट शुरू कर दी। इसके बाद आरोपियों में से छोटू ने तमंचा निकालकर विक्रम के सिर में गोली मार दी।
सबसे शर्मनाक तो समाज का रवैया है , गोली लगने के बाद विक्रम जोशी सडक पर गिरे और उनकी बेटियां मदद के लिए गुहार लगाती रहीं और डरपोक लोग भाग गए .
वैसे पुलिस ने लापरवाही के आरोप में प्रताप विहार चौकी के इंचार्ज राघवेंद्र सिंह को सस्पेंड कर दिया है लेकिन उस समाज को कौन सस्पेंड करे जो हर पत्रकार से निर्भीक, निष्पक्ष और ईमानदार होने की उम्मीद करता है लेकिन जरूरत पड़ने पर मदद को आगे नहीं आता ।
बेहद दुखद है कि उत्तर प्रदेश पुलिस बेहद सांप्रदायिक, जातिवादी और लहरों से भी नोट छापने की मशीन बन चुकी है , राज्य पुलिस के आम जवान की वर्दी, जूते , बातचीत से लगेगा नहीं कि ये किसी प्रोफेशनल फ़ोर्स का अंग है , मुंह में गुटका, सर पर गमछा , पैर में बेढंगे जूते, बगैर गाली के बात कर नहीं सकते, अंग्रेजी क्या हिंदी लिखने में फिसड्डी -- ये केवल सुपारी ह्त्या करना या लाठी चलाना जानते हैं , प्रबंधन , नियन्त्रण जैसे शब्द इनके पास हैं नहीं , गाज़ियाबाद के वर्तमान एसएसपी से ज्यादा उम्मीद है नहीं दिसम्बर में सी ए ए विरोधी आन्दोलन के समय उन्होंने लखनऊ में अपना सांप्रदायिक, झूठा चेहरा दिखा दिया था -- फिर उन्हें सबसे ज्यादा मलाई वाला जिला दिया गया
बहरहाल विक्रम जोशी के परिवार को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो, इसके लिए सरकार पर दवाब बनाना जरुरी है , निकम्मी जनता अन्याय के खिलाफ खड़ी हो इसके लिए उन्हें जगाना जरुरी है - पुलिस तो एक गिरोह से ज्यादा कुछ नहीं जो बदला लेती है -- जय वाजपेयी के साथ मिल कर विकास दुबे की ह्त्या कर उसके अरबों के साम्राज्य में अपना हिस्सा सुनिश्चित करने के लिए।
पंकज चतुर्वेदी
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