-उत्तरप्रदेश के फल पट्टी सियाना में बाग मालिकों की मुश्किलें बढ़ी
- सरकार से लगाई गुहार, दिया जाए मुआवजा
नई
दिल्ली, 05 जुलाई (हि.स.) । दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर दूर बुलंदशहर का
सियाना विधान सभा के किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। आम की बम्पर पैदावार
होने के बावजूद भी सियाना फल पट्टी में किसानों, बाग मालिकों की चिंताएं
बढ़ गई हैं। कोरोना संक्रमण के चलते देश में भर में चले लॉकडाउन और मौसम की
मार के चलते इस बार आम के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार ने सियाना फल पट्टी में बाग मालिकों की मुश्किलों को
समझने के लिए उनसे बात की। कई बाग मालिकों ने कहां कि इस बार कोरोना के
कारण आम का करोबार सिमट कर महज 20-30 फीसदी तक रह गया है। इसके साथ मौसम की
मार भी फल किसानों को झेलनी पड़ रही है। इस बार गर्मी कम पड़ने के कारण आम
के पकने का सिलसिला काफी देर से शुरू हुआ है।
सियाना
के बाग मालिक ओमकार सिंह बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से इस बार आम की
कीमत काफी गिर गया है। पिछले साल थोक में आम 30 रुपये प्रति किलो तक बिका
था, इस बार 5 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भी व्यापारी आम नहीं ले रहे।
पहले बैंगलोर, भोपाल, इंदौर, राजस्थान की मंडियों में मई-जून तक आम ले लिए
जाते थे, इस बार आम की मांग ही नहीं है। किसान तो बर्बाद हो गया है। इस बार
तो आम की पैदावार की लागत भी नहीं निकली है। इस फसल के लिए पूरे साल मेहनत
करते हैं लेकिन इस बार तो आम के बागों में भी रौनक नहीं है। सरकार को आम
के किसानों की मदद करनी चाहिए।
बाग
मालिक राम गोपाल ने बताया कि इस बार आम के पेड़ों पर कीटनाशक का छिड़काव
काफी करना पड़ रहा है। मौसम में गर्मी नहीं होने के कारण आम देर से पक रहे
हैं। उन्होंने बताया कि आम को पेड़ों पर बचाने के कीटनाशकों का काफी
छिड़काव करना पड़ रहा है जिससे लागत बढ़ रही है जबकि बाजार में आम के भाव
गिरे पड़े हैं। 10 किलों की आम की पेटी 80-130 रुपये में बिक रहा है। इस
बार तो आम के व्यापारी और किसान दोनों ही मुश्किल में है। साल में एक बार
आम की फसल होती है, किसानों की उम्मीद बंधी होती है। इस बार तो सारी
उम्मीदों पर पानी फिर गया है। साल भर घर कैसे चलेगा यह भी सोचना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को आम के किसानों की मदद करने आगे आना चाहिए। तैयार
आमों को स्टोर करने के लिए भी स्थानीय स्तर पर कोई बंदोबस्त नहीं है। इस
बारे में सरकार को कदम उठाने चाहिए।
बुगरासी
किस्बे के बाग मालिक नैपाल सिंह बताते हैं कि सियाना पहले से ही फल के
बागों के लिए जाना जाता रहा है। यहां नाशपाती, नींबू, आम, लीची, आड़ू, बेल
जैसे फलों के बगीचे हैं। यहां से यूपी के साथ राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब,
हिमाचल तक फल भेजे जाते हैं। लेकिन इस बार किसानों की मुश्किलें बीमारी ने
बढ़ा दी है। बीमारी के कारण बाजार में अब 20-30 फीसदी ही काम हो रहा है।
बाजार में नहीं मिल रहे आम के सही दाम
आरिफ
सयैद खान, नगर पचांयत के चेयरमैन औऱ बाग मालिक पिछले कई सालों से आम के
कारोबार से जुड़े आरिफ सयैद खान बताते हैं कि इस बार बाजार में आम की सही
कीमत नहीं मिल रही है। कोरोना की वजह से इस बार बाजार में आम की मांग भी कम
हुई है जबकि इस बार आम की बम्पर पैदावार हुई है। उन्होंने बताया कि इस बार
गर्मी कम होने के कारण आम 15 -30 दिन देरी से पक रहे हैं, जिसके कारण
किसानों को नुकसान हो रहा है। फसल तो अच्छी है लेकिन बाजार का मिजाज ही
बिगड़ा हुआ है। कोरोना का भी असर देखने को मिल रहा है। किसानों की मदद के
लिए सरकार को इस बारे में जल्दी ही कदम उठाने चाहिए।
प्रदेश सरकार तक पहुंचाई जाएगी किसानों की समस्याएं- देवेन्द्र सिंह लोधी
वहीं
सियाना विधान सभा क्षेत्र के विधायक देवेन्द्र सिंह लोधी बताते हैं कि
सियाना फल पट्टी होने के कारण यहां 60 फीसदी फलों के बाग है। हर साल सभी
तरह के बागों में रौनक रहा करती थी लेकिन इस बार बाग मालिकों की परेशानी
बड़ी है। इसके हल के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और कृषि मंत्री तक किसानों की
बात पहुंचाई जा रही है। किसानों की समस्याओं का हल जल्दी ही निकाला जाएगा।
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