आज केरल की सरकार ने स्वीकार किया है कि राज्य में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है। इस प्रकार केरल देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां आधिकारिक तौर पर कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात मानी गई है
आज देश मे 45 हजार के आसपास मामले सामने आए है ........7 राज्यों में आज कोरोना के रिकॉर्ड मरीज सामने आए हैं, लेकिन न तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन, न ICMR, न स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ओर न एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया यह माने हैं कि देश मे कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है
सरकार ने सोच लिया है कि महामारी के इस वैज्ञानिक वर्गीकरण का इस्तेमाल वह अपनी सुविधा के अनुसार करेगी और वह लगातार कर रही है देश का वैज्ञानिक समाज इस पर चुप बना हुआ है
कोरोना अब एक राजनीतिक हथियार बन गया है अब बहुत ही जल्द आप देखेंगे कि इस महामारी का इस्तेमाल अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को निपटाने के लिए किया जाएगा छिटपुट रूप में राज्य सरकारों ने यह प्रयोग करना शुरू भी कर दिया है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, किसी भी संक्रमण को कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब कहा जाता है जब इन्फेक्शन सोर्स का पता नहीं चल पाता है इस हिसाब से देखा जाए तो भारत मे यह बहुत पहले से ही शुरू हो चुका है तीसरा चरण कम्युनिटी ट्रांसमिशन का होता है दूसरा चरण लोकल ट्रांसमिशन होता है जो हम कब का पार कर चुके है क्योंकि इस चरण में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैलता है, ये वे लोग होते हैं जो किसी ना किसी ऐसे संक्रमित शख़्स के संपर्क में आए जो विदेश यात्रा करके लौटे थे. उनसे उन्हें संक्रमण हुआ. वो उनके संपर्क में आए. जिससे संक्रमित हो गए.
साफ है कि केंद्र सरकार का टेसू यही अड़ा हुआ है कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन को नही स्वीकार करना है......
अगर दिल्ली के सरकारी सीरो सर्वे में हर चौथा व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया गया, 23 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज मिली हैं. इन लोगो में अधिकांश को कोरोना हुआ और वे ठीक भी हो गए, उन्हें पता भी नहीं चला कि कैसे कोरोना हुआ या कब हुआ........तो आप कैसे कम्यूनिटी ट्रांसमिशन से इनकार कर रहे हो ?............
यहां साफ साफ़ दिख रहा है कि सरकार अपनी सुविधानुसार ही कोरोना को हैंडल कर रही है इसीलिए मैं कहता हूँ कि यह महामारी अब एक राजनीतिक महामारी है।
गिरीश मालवीय जी की रिपोर्ट।
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