लगता है कि काँग्रेस ने सचिन पायलट को मैनेज कर लिया है।
एक तो पूरे एपीसोड में सचिन पायलट ने पार्टी विरोधी तो छोड़िए मीडिया में सामने आकर कोई बयान ही नहीं दिया बल्कि सिंधिया से मिलने और भाजपा से बात करने जैसी खबरों का खंडन ही किया है।
आज भी उनका बयान मीडिया में घूम रहा है कि "वह अभी भी काँग्रेसी हैं और अदालत अपनी विधायकी बचाने गये हैं" दूसरा बयान भी है कि "अशोक गहलोत ने भले बुरा भला कहा हो पर पार्टी आलाकमान को उनसे कोई शिकायत नहीं।"
सचिन पायलट फिलहाल धैर्य के साथ परिपक्वता का परिचय दे रहे हैं तो अशोक गहलोत को भी अपना दिल बड़ा कर लेना चाहिए।
बेहतर होगा कि सचिन पायलट को राष्ट्रीय स्तर की कोई बड़ी ज़िम्मेदारी देकर उनका मान सम्मान बहाल किया जाए। यही काँग्रेस और सचिन के हक में भी है। उनका भविष्य शीर्ष तक जाने का है और भाजपा में शीर्ष तक सिर्फ शाखा वाले ही जाते हैं।
बाकी आगे ऊँट किस करवट बैठेगा यह भविष्य के गर्भ में है
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