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Friday, 3 July 2020

क्या आप जानते है - वेदांग क्या है

वेदांग क्या है 
यज्ञ और गायन करते हुए जो वेदों को पढ़ने में त्रुटि या अशुद्धि होती थी उन्हीं अशुद्धियों को दूर करने के लिए जिन ग्रंथों का संचयन हुआ, उन ग्रंथों को वेदांत कहते हैं।
इनको वेदो का अंग इसलिए माना जाता है क्योंकि इनका संबंध मन्त्रो के उच्चारण तथा उसके गायन व अर्थबोध से हैं 
वेदांग के 6 अंग बताए गए है,,
1, शिक्षा
2, छन्द
3, निरुक्ति
4, व्याकरण
5, ज्योतिष
6, कल्पसूत्र

 1,  शिक्षा---
यह आज कल का फिनेटिक्स (ध्वनि अनुवादक)(भाषाअनुवादक)या उच्चारण शास्त्र था जो वेदों में लिखित कठिन शैली को सूक्ष्म व सरल बनाने का काम शिक्षा का था,,,,
आप देख सकते है कि सामवेद की कठिनाई दूर करते हुए ,उसकी शिक्षा का नाम नारद शिक्षा रखा गया।यजुर्वेद की शिक्षा का नाम याज्ञवल्क्य शिक्षा इसी तरह पाणिनीय शिक्षा का भी उल्लेख मिलता है ,,,,

 2, छन्द---
इसे तो वेदों के मन्त्रो को सरल रूप से गाया व नियमित करने के लिए बनाया गया है अभी तक इसका एक ही ग्रन्थ मिलता है 'पिंगल ' जिसमें वैदिक और लौकिक दोनो प्रकार के छन्दों का वर्णन मिलता है।
 
3, निरुक्ति---
वैदिक शब्दो की व्युत्पत्ति करने के लिए यह शास्त्र निकला था,यदि साक्ष्य की बात करें तो निघण्टु नामक एक ग्रन्थ में कठिन शब्दों की तालिका मिली थी,,इसी तालिका पर यास्क मुनि ने भाष्य बनाया जो आगे चलकर निरुक्ति के नाम से प्रसिद्ध हुआ,,इसी ग्रन्थ से यास्क ने पहले पहल यह घोषणा की कि शब्द धातुओं से जन्मते है ।।

 4, व्याकरण---
पाणिनि की अष्टाध्यायी ईशा के 700वर्ष पूर्व बनी,,इनके पूर्व भी स्फोटायन ,शाकटायन,भरद्वाज आदि वैयाकरण हो चुके थे ,पर इनके ग्रन्थ अब नही मिलते है,,पाणिनि से पूर्व के वैदिक भाषा के व्याकरण को प्रातिशाख्य कहा जाता है ,जैसे प्रातिशाख्य ,कात्यायन प्रातिशाख्य अब भी मिलते है।
Note--उपर्युक्त चारों को ही मूलतः वेदांग कहते है , क्योंकि इनका सम्बन्ध वेद के भाषा विषयक विज्ञान से है।परंतु दो नई विद्याओं को मिलाकर वेंदांग छः माने गए,,।।
 
5, ज्योतिष---
यही तो आर्यों का एक मात्र भौतिक शास्त्र है ,पर कुछ विद्वान कहते है कि वैदिक ज्योतिष का कोई ग्रन्थ उपलब्ध नही है ।
 
6, कल्पसूत्र---
जिस प्रकार वेदों के कर्मकांड पक्ष की सरलता के लिए ब्राह्मण ग्रन्थों का निर्माण हुआ,उसी प्रकार ब्राह्मण ग्रन्थों की व्याख्या व सरलता के लिए कल्पसूत्र बनाये गए।
कल्पसूत्र दो प्रकार के होते है,
1,, श्रौतसूत्र
2,, स्मार्तसूत्र

 १- श्रौतसूत्र,,,,,
इसमे आर्यों के यज्ञों का उल्लेख है 
 
*२-स्मार्तसूत्र,,,,, 
इसके दो भेद है 
1,गृह्यसूत्र- -इसमे 16 संस्करों का वर्णन है
2,धर्मसूत्र---राजा प्रजा के धर्म धार्मिक नियमों और वर्णाश्रम विधान का वर्णन है।।।

    डॉ० सुनील बिझला
लेखक व हिंदी भाषा विशेषज्ञ 

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