बीएचयू में एसीएमओ का शव बदलने की घटना को गंभीरता से लिया गया है। बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर एसके माथुर ने घटना की जांच का आदेश देते हुए समिति का गठन किया है। समिति पूरे मामले के तथ्यों और परिस्थितियों का विश्लेषण करेगी।
बीएचयू में बुधवार की सुबह कोरोना मरीजों की सेवा में लगे एसीएमओ जंग बहादुर की मौत के बाद उनके शव के साथ भी लापरवाही बरती गई। उनके परिवार को किसी और व्यक्ति का शव दे दिया गया। परिवार वालों ने उस शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया। जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार एसीएमओ के परिवार ने किया वह बनारस में ही तैनात फूड विजिलेंस इंस्पेक्टर के पिता केशव चंद्र श्रीवास्तव थे। इस लापरवाही से नाराज इंस्पेक्टर के परिवार ने बीएचयू में हंगामा भी किया। बीएचयू पर इलाज में लापरवाही का आरोप भी लगाया।
इसी के बाद चिकित्सा अधीक्षक ने वीडियो संदेश जारी करते हुए जांच और समिति के गठन की बात कही। उन्होंने बताया कि एक मरीज़ की 12 अगस्त की भोर में मृत्यु हुई थी। वे कोरोना से पीड़ित थे और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हुई। उसी के आसपास कोरोना से पीड़ित एक अन्य वृद्ध मरीज़ मृत अवस्था में आईसीयू में लाए गए थे। कोरोना प्रोटोकाल के तहत अलग अलग स्थानों पर संपूर्ण कार्यवाही के बाद शवों को एक ही प्रकार के बॉडी बैग में शवगृह में रख दिया गया था। ऐसा संज्ञान में आया है कि एक मरीज़ के परिजनों को दूसरे व्यक्ति का शव दे दिया गया। दूसरे व्यक्ति के परिजनों ने शव देखा तो इसकी जानकारी हुई। समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
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