रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन लाकर आज बहुत बड़ा काम कर दिया है और वो काम है अमेरिका, बिल गेट्स की वैक्सीन लॉबी ओर WHO को उनकी ओकात दिखाना !
अगर कोई कोई संप्रुभ देश यदि पूरे ट्रायल कर के निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर के कोरोना वेक्सीन बनाता है और अपने नागरिकों को ही दे रहा है तो आखिर किसी को दिक्कत ही क्यो होना चाहिए ?
आइए अब जरा मोटे तौर पर बेसिक टेक्निकल पॉइंट को समझे......... रूस की यह वैक्सीन SARS-CoV-2 टाइप के एडिनोवायरस जो कि एक कॉमन कोल्ड वायरस होता है उसके ऊपर बनाई गई है इसी एडीनो वायरस को लेकर आक्सफोर्ड- एस्ट्राजेन्का की वेक्सीन भी काम कर रही है, जिसके सबसे पहले आने की बात की जा रही थी .......यानी मोटे तौर पर दोनों एक ही वायरस पर काम कर रहे है तो यह किस आधार पर कहा जा रहा है कि रूस की वैक्सीन गलत तकनीक से बनाई जा रही है ? क्योकि आप भी तो वही पैटर्न पर काम कर रहे हो?.......
दूसरा सवाल समय का उठता है कि इतनी जल्दी कैसे बना ली ? रूस के पास इसका भी जवाब है
रशियन साइंटिस्ट का कहना है कि उनके देश में 20 साल से इस क्षेत्र में अपनी क्षमता और काबिलियत को तेज करने के काम चल रहा है इस बात पर लंबे वक्त से रिसर्च की जा रही है कि वायरस कैसे फैलते हैं। इन्हीं दो दशकों की मेहनत का नतीजा है कि देश को शुरुआत शून्य से नहीं करनी पड़ी और उन्हें वैक्सीन बनाने में एक कदम आगे आकर काम शुरू करने का मौका मिला
रूसी वैज्ञानिको का यह भी कहना है कि उनकी
वैक्सीन जो सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं।
यानी रूसी वैक्सीन पर उठते हर सवाल के जवाब रूस के पास मौजूद है
अब WHO बिल गेट्स की वैक्सीन लॉबी ओर अमेरिका की हालत 'खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे' की हो गयी है अब जो आरोप प्रत्यारोप का दौर चालू होगा उससे यह साबित होकर रहेगा कि यह महामारी राजनीतिक ही थी।
गिरीश मालवीय की रियोर्ट।
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