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Tuesday, 22 September 2020

शांति दिवस पर समाज को सन्देस-निखिल श्रीवास्तव युवा



जो बोओगे वही पैदा होगा..!!
नफ़रत बो रहे है आज के दल..!!
कोई नेहरू को गाली दे रहा, कोई सावरकर को.!!
अरे उस वक़्त की परिस्थितियों में उन लोगो के द्वारा लिए गए निर्णयों से आप या हम असहमत हो सकते है..!! पर उनके द्वारा किये सत्कर्मों से उनकी जय जयकार भी तो कर सकते है...पर नहीं जिसको अपने घर एक ग्लास पानी की कीमत पता नही वो आज पानी पी पीकर देश के महापुरुषों को गाली बक रहा है..!!

आख़िर यह नफ़रत किस लिए किसने बीज बोया है नफ़रत का..जब यह जानने का प्रयास करियेगा तो इतिहास पढना होगा, और इतिहास में देखियेगा कि विश्व के वो लोग जिन्हें अपने- अपने क्षेत्र का राजा(सुलतान, शाह, गवर्नर, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति) बनना था...उन लोगो ने नफरत का बीज बोया, अपने विरोधियों के प्रति..!!

नफ़रत का बीज का नाम----

मुगल काल मे ईमान के नाम पर सर कलम किया गया उनका कहना था जो हमारा धर्म नहीं अपनाएगा, वो काट दिया जाएगा..!!

अंग्रेजी हुकूमत में जमीन के कर को न देने वालों पर हिंसा की गई...और हिन्दू मुसलमान के नाम पर नफरत के बीज बोए गए..!!

90 वर्षों (1857-1947) की कठिन परिश्रम व आज़ादी की लड़ाई के बाद हम लोगो को आज़ादी मिली...किससे मिली उन लोगो से जिन लोगो के विचार हमारे यहां के कब्जाधारियों से नहीं मिलते थे.!!

मतलब कि असल लड़ाई अपने विचार की है वह विचार जो सिर्फ अपने राजा बनने के सपने को पूरा करेगा...इसी लड़ाई को सभी राजा बनने के प्रत्याशी लड़ रहे थे और है..!!

धर्मो में कभी भी यह नहीं सिखाया कि दूसरों पर अत्याचार करो, दूसरों के धर्मो को नाश करके अपने धर्म का प्रचार करो..!!

लेकिन कुछ चूतिया टाइप के लोग इस धरती पर जन्म लिये, कोई जर्मनी में पैदा हुआ, कोई मिडिल ईस्ट में और कोई भारत मे...जिसने सिर्फ खुद को साबित करने के चक्कर मे नफ़रत के बीजों को जड़ से उखाड़ फेंकने के बजाए उन्हें पानी और यूरिया देने का काम किया.!!

पानी और यूरिया( जाति भेद, सम्प्रदाय भेद, क्षेत्र भेद, लिंग भेद) का भरपूर प्रयोग आज के नेताओं द्वारा किया जा रहा है...और अब तो जातियों में भी कई विभेद हो गए है...पहले के राजाओं ने सवर्ण दलित में भेद किया, अब वह बढ़कर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, पिछड़ा, दलित में व्याप्त हो गया है...ये अभी यही नही रुकेगा इसमे ब्राह्मणों, क्षत्रियो, वैश्यो, पिछड़ा, दलित में भी अलग अलग विभेद हो रहे है...अति पिछड़ा, 3 घर 13 घर, वो नीच जाति है हमसे, ऐसे कई विभेद आपको देखने को मिल जाएंगे..!!

आप खुद सोचिये कि जब इतना कुछ हम स्वयं कर रहे है तो उस वक़्त जिस वक्त यह देश हिंदुस्तान रहा होगा उस वक़्त क्या परिस्थिति रही होगी, जो गांधी, नेहरू, सावरकर, आज़ाद, भगत जैसे न जाने कितने महापुरुषों ने इस देश की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व लुटा दिया होगा..!!

और आज हम आप बिना कुछ जाने बिना कुछ पढ़े और बिना कुछ समझे उन सारे महापुरुषों को पानी पी पीकर गाली दे रहे है..!!

अरे शर्म करो भारतीयों, और अभी भी वक़्त है पढ़ने की शुरुआत करो...नहीं तो ये राजा बनने की होड़ में इंसान आप लोगो को यूँ ही नफ़रत के बीज बोने पर आमादा करता रहेगा और आप जानकारी के अभाव में इस देश हिंदुस्तान की पहचान को मिटा दोगे..!!

हिंदुस्तान की पहचान प्रेम, मोहब्बत, इश्क़ से है..!!
हिंदुस्तान की पहचान ऋषियों, वेदों, विज्ञान से है..!!
हिंदुस्तान की पहचान भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश से है..!!

टूटे गए परिवारों को जोड़ना सीखिये,
बिगड़ गए भाइयों को राह पर लाना सीखिये..!!
क्यों बोते है नफरत के बीज क्षेत्रो, जातियों, धर्मो, लिंगो के आधार पर,
हिन्दुस्तान को फिर से हिंदुस्तान(कंधार से लेकर वर्मा) बनाने की कोशिश कीजिये..!!

अगर आप हमारे विचारों के साथ है तो राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संगठन से जुड़िये और प्रेम को निरन्तर करते रहिए...हर इंसान से क्योंकि धरती पर करोड़ो जीवो की उत्पत्ति हुई है, और सभी के उंगलियों के निशान अलग है, जब वो एक नही हो सकते तो विचार कैसे एक हो सकते है..!! लेकिन जैसे हम अपने शरीर के अंगों की हिफाज़त करते है, वैसे ही इस देश के सभी अंगों (इंसानो) की हिफाजत करना सीखिये..!!

आप मेरे लेख से असहमत हो सकते है पर सत्यता से नहीं..!!

यहां जन्म लिया हर व्यक्ति रेस में चल रहा है...सभी के अपने अपने विचार है कोई प्यार करता है तो कोई नफरत करता है...लेकिन सत्य यही है कि प्यार से ही दुनिया चल सकती है..नफरत से सिर्फ नाश होगा..!!
रिपोर्ट-अंजनी त्रिपाठी

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