झारखंड में निवास करने वाले लोगों ने संघर्ष किया है। संघर्ष के प्रारंभिक दिनों में यहां शिक्षा का अभाव था। यही वजह रही कि कई लोगों की गाथा सहेज कर नहीं रखी गई। लेकिन समाज में कई ऐसे लोग भी रहे, जिन्होंने इस संघर्ष को करीब से देखा, समझा और उसे संजोकर रखने का प्रयास किया। कुछ लोग अपने संघर्ष की ऐसी छाप लोगों के दिलों में छोड़ते हैं कि उन्हें कागजों में उतारना गौरव की बात होती है। यह बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सोमवार को राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के जन्मदिन पर उनके संघर्ष से जुड़ी तीन पुस्तकाें के लाेकार्पण समारोह में कहीं।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि वास्तव में आज का दिन गुरुजी और पुस्तक के लेखक का है। लेखक ने
इस वीर भूमि के इतिहास को संजोकर युवाओं के साथ-साथ बच्चों को इतिहास को
समझाने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री
ने कहा कि झारखण्ड में हमेशा से संघर्ष की परंपरा रही है। शोषण के खिलाफ
हमेशा आवाज उठाई गई। उस समय से यहां के लोगों ने संघर्ष का इतिहास लिखना
प्रारंभ किया था। यहां के लोगों में संघर्ष करने की शैली अलग-अलग रही,
जिसमें उन्होंने अपनी दक्षता का प्रदर्शन कर जंग जीता है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि जिस उद्देश्य से हमारे पूर्वजों ने अलग झारखण्ड राज्य के लिए
जंग लड़ी और इतिहास बनाया। उन सपनों को कैसे पूरा किया जाए। राज्य में
क्षमता की कमी नहीं। कमी चेतना की है। अगर वह चेतना हम जगा पाए तो निश्चित
रूप से राज्य आने वाले समय में आंतरिक और बाह्य क्षमता से देश के अग्रणी
राज्यों से आगे जा सकती है।
बदलाव के लिए प्रयास बोलने से नहीं करने से होगा: शिबू सोरेन
इस
मौके पर राज्यसभा सांसद ने कहा कि पुस्तक में महाजनी आंदोलन के संबंध में
लिखा गया है। इस प्रथा का अंत भी हुआ। झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन
किया। आज हमसब अलग झारखण्ड राज्य में हैं। लेकिन अभी तक आदिवासियों,
किसानों, मजदूर कमोबेश लाभान्वित नहीं हो सकें हैं। राज्यसभा सांसद ने
महाजनी प्रथा के खिलाफ किए गए आंदोलन की विस्तार से जानकारी दी। सोरेन ने
बताया कि शिक्षा को लेकर भी जागरूकता से संबंधित कई कार्यक्रम का आयोजन
किया गया। शराब-हड़िया के खिलाफ भी लोगों को जागरूक किया गया। इसकी रोकथाम
के लिए प्रयास बोलने से नहीं करने से होगा। शिबू सोरेन ने कहा कि जंगल
संरक्षण की दिशा में भी कार्य होना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण बेहद जरूरी है।
जंगल बचाओ आंदोलन जरूरी है।
इन पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
राज्य
सभा सांसद शिबू सोरेन की जीवनी पर आधारित पुस्तकों में "दिशाेम गुरु: शिबू
साेरेन" (हिंदी) "ट्राइबल हीराे : शिबू साेरेन" (अंगरेजी) और "सुनाे
बच्चों, आदिवासी संघर्ष के नायक शिबू साेरेन (गुरुजी) की गाथा" शामिल हैं।
इनमें 'दिशाेम गुरु :
शिबू साेरेन' पुस्तक मूलत: शिबू साेरेन के जीवन के संघर्ष की गाथा है।
इसमें शिबू साेरेन के स्कूल छाेड़ से लेकर महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदाेलन,
आदिवासियाें काे उनकी जमीन पर कब्जा दिलाना और आदिवासी समाज काे एकजुट कर
सामाजिक बुराइयाें काे दूर करने के अभियान का जिक्र है। इसमें विनाेद
बिहारी महताे और एके राय के साथ मिल कर झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन करने
का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा 'ट्राइबल हीराे :
शिबू साेरेन' नामक पुस्तक हिंदी का अंग्रेजी में अनुवाद है। तीसरी पुस्तक
में शिबू साेरेन द्वारा झारखण्ड के लिए 40 वर्षों से अधिक समय तक किये गए
संघर्ष काे अत्यंत सरल शब्दों में चित्रांकन शैली द्वारा प्रस्तुत किया।
मौके
पर मंत्री चम्पई सोरेन, मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, मंत्री मिथिलेश
कुमार ठाकुर, मंत्री बन्ना गुप्ता, मंत्री बादल, मंत्री सत्यानंद भोक्ता,
विधायक मथुरा महतो, विधायक बसंत सोरेन, विधायक मंगल कालिंदी, विधायक
इरफान अंसारी, पुस्तक के रचयिता अनुज कुमार सिन्हा, डॉ. पीयूष कुमार व
अन्य उपस्थित थे।
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