भारतीय जनता पार्टी के
प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने कहा कि देश के लिए प्राणों की आहुति
देने वाले योद्धा हमेशा अमर रहते हैं। युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर
आगे बढ़ना चाहिए।
भाजपा
प्रदेशाध्यक्ष पूनियां गुरुवार को डाडा फतेहपुरा में कीर्ति चक्र विजेता
शहीद मेघराजसिंह निर्वाण की प्रतिमा अनावरण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में झुंझुनू जिले
में बहुत नाम कमाए हैं और भारत माता की रक्षा के लिए यहां के युवाओं ने
अपने हंसते-हंसते प्राणों की आहुति दी है। इसी कड़ी में डाडा फतेहपुरा
निवासी कीर्ति चक्र विजेता नायक मेघराजसिंह भी शामिल थे। जिन्होंने देश के
लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। उन्होंने कहा कि देश पर जब जब भी विदेशी
आक्रमण हुआ तो झुंझुनू जिले के वीर बहादुर जवानों ने उनका डटकर मुकाबला
किया तथा अपने शौर्य व साहस के लिए प्राणों की आहुति देकर जिले व देश का
नाम रोशन किया। जब भी शहादत के रूप में किसी क्षेत्र को याद किया जाता है
तो शेखावाटी में झुंझुनू जिले को पहले नंबर पर याद किया जाता है। क्योंकि
यहां की धरती में वह जज्बा है। जो वीर योद्धाओं को पैदा करती है।
इस अवसर पर राजस्थान सैनिक कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रेमसिंह बाजौर ने कहा कि मुझे आज गर्व होता झुंझुनू जिले पर जिसको वीरों की भूमि के नाम से याद किया जाता है। सरहद पर देश की रक्षा करने वाले जवानों ने झुंझुनू का नाम सुनहरे अक्षरों में लिख दिया है। मेघराजसिंह 17 राजपूताना राइफल में थे। वे 27 जनवरी 1982 को इंफाल में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए तैनात किए गए थे। शाम करीब 4:45 बजे इनकी टुकड़ी को दो आतंकवादी सामने वाली गली में भागते हुए दिखाई दिए। नायक मेघराजसिंह ने उनका पीछा किया तो एक उग्रवादी ने बहुत नजदीक से अपनी पिस्तौल से उन पर गोली चला दी। लेकिन मेघराजसिंह ने साहस दिखाते हुए उस आतंकवादी को दबोच लिया। जो आतंकवादी मेघराजसिंह ने पकड़ा था। वह पीएलए का बहुत बड़ा सरगना था। जिसे पकड़ने के लिए भारत सरकार ने इनाम भी घोषित कर रखा था। चार फरवरी 1982 को इंफाल में राष्ट्र विरोधियों की उपस्थिति की सूचना मिली। जिस पर नायक मेघराजसिंह व उनकी गस्ती टुकड़ी उन लोगों को पकड़ने के लिए तैनात की गई। टुकड़ी को सुबह एक उग्रवादी मकानों के समूह की पीछा किया और उसे पकड़ लिया। इसके बाद दोनों में काफी संघर्ष हुआ। इस दौरान मुठभेड़ में उग्रवादियों ने नायक मेघराजसिंह पर फायर कर दिया। जिससे उसके गोली लगने से घायल हो गए। गोली लगने के बाद भी नायक मेघराजसिंह उग्रवादियों से संघर्ष करते रहे जब तक साथियों ने उग्रवादियों को ढेर नहीं कर दिया। इसके बाद मेघराजसिंह वीरगति को प्राप्त हो गए थे। नायक मेघराजसिंह द्वारा वीरता का परिचय देने पर भारत सरकार की ओर से 15 अगस्त 1982 को राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिंह व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीद वीरांगना विमलादेवी को कीर्ति चक्र देकर सम्मानित किया गया था।
इस अवसर पर राजस्थान सैनिक कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रेमसिंह बाजौर ने कहा कि मुझे आज गर्व होता झुंझुनू जिले पर जिसको वीरों की भूमि के नाम से याद किया जाता है। सरहद पर देश की रक्षा करने वाले जवानों ने झुंझुनू का नाम सुनहरे अक्षरों में लिख दिया है। मेघराजसिंह 17 राजपूताना राइफल में थे। वे 27 जनवरी 1982 को इंफाल में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए तैनात किए गए थे। शाम करीब 4:45 बजे इनकी टुकड़ी को दो आतंकवादी सामने वाली गली में भागते हुए दिखाई दिए। नायक मेघराजसिंह ने उनका पीछा किया तो एक उग्रवादी ने बहुत नजदीक से अपनी पिस्तौल से उन पर गोली चला दी। लेकिन मेघराजसिंह ने साहस दिखाते हुए उस आतंकवादी को दबोच लिया। जो आतंकवादी मेघराजसिंह ने पकड़ा था। वह पीएलए का बहुत बड़ा सरगना था। जिसे पकड़ने के लिए भारत सरकार ने इनाम भी घोषित कर रखा था। चार फरवरी 1982 को इंफाल में राष्ट्र विरोधियों की उपस्थिति की सूचना मिली। जिस पर नायक मेघराजसिंह व उनकी गस्ती टुकड़ी उन लोगों को पकड़ने के लिए तैनात की गई। टुकड़ी को सुबह एक उग्रवादी मकानों के समूह की पीछा किया और उसे पकड़ लिया। इसके बाद दोनों में काफी संघर्ष हुआ। इस दौरान मुठभेड़ में उग्रवादियों ने नायक मेघराजसिंह पर फायर कर दिया। जिससे उसके गोली लगने से घायल हो गए। गोली लगने के बाद भी नायक मेघराजसिंह उग्रवादियों से संघर्ष करते रहे जब तक साथियों ने उग्रवादियों को ढेर नहीं कर दिया। इसके बाद मेघराजसिंह वीरगति को प्राप्त हो गए थे। नायक मेघराजसिंह द्वारा वीरता का परिचय देने पर भारत सरकार की ओर से 15 अगस्त 1982 को राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिंह व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीद वीरांगना विमलादेवी को कीर्ति चक्र देकर सम्मानित किया गया था।
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