संयुक्त राष्ट्र में सऊदी अरब के राजदूत ने सोमवार को अमेरिका की उस खुफिया रिपोर्ट पर सवाल उठाए, जिसमें सऊदी अरब के शहजादे (क्राउन प्रिंस) द्वारा पत्रकार जमाल खशोगी को ‘‘पकड़ने या मारने’’ के एक अभियान को मंजूरी देने का दावा किया गया है।
अब्दल्लाह अल-मौलिमी ने इस रिपोर्ट पर विरोध
जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘ हम सभी को दुनिया के गंभीर मुद्दों के समाधान के
लिये आगे बढ़ना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि ‘सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी’ की नई रिपोर्ट ‘‘ हो
सकता है, होना चाहिए तथा हुआ होगा पर आधारित है और संदेह के अलावा आरोप
साबित करने में सक्षम नहीं है।’’
रिपोर्ट में सऊदी अरब के शहजादे (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन
सलमान का नाम लिये बगैर इशारों में कहा गया कि उन्होंने इस्तांबुल में
पत्रकार जमाल खशोगी को ‘‘पकड़ने या मारने’’ के एक अभियान को मंजूरी दी थी।
सऊदी अरब के असंतुष्ट पत्रकार की बर्बर हत्या से संबंधित यह रिपोर्ट अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने जारी की है।
रिपोर्ट खुफिया अधिकारियों ने हालांकि यह नहीं कहा कि शहजादे मोहम्मद बिन
सलमान ने अक्टूबर 2018 में खशोगी की हत्या का आदेश दिया था, बल्कि उन्होंने
चार पृष्ठ के दस्तावेज में कहा कि शहजादे का देश की सुरक्षा एवं खुफिया
संगठनों पर पूर्ण नियंत्रण है। इस बात की संभावना नहीं है कि सऊदी अधिकारी
इस प्रकृति का अभियान बिना शहजादे की इजाजत के चलाएं।
अपने
ट्वीट में अल-मौलिमी ने सीआईए की रिपोर्ट में किये गए उस दावे को खारिज
किया कि 35 वर्षीय शहजादे को “निश्चित रूप से इस बारे में पता होगा क्योंकि
खुफिया तंत्र पर उनका नियंत्रण है।”
उन्होंने कहा, ‘‘यदि यह एक वैध तर्क है तो अबू गरीब जेल में हुए
अपराधों के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और रक्षा मंत्री
जिम्मेदार क्यों नहीं थे?’’
अल-मौलिमी का इशारा इराकी जेल की 2004 में सामने आई उन तस्वीरों
से था, जिनमें अमेरिकी सैनिक कैदियों पर अत्याचार करते नजर आ रहे थे।
अल-मौलिमी ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘ शहजादे ने साहसपूर्वक नैतिक
जिम्मेदारी ली, आरोपी को न्याय के दायरे में लेकर आए और खुफिया संगठनों को
सुधारने का संकल्प व्यक्त किया। मामला बंद।’’
गौरतलब है कि खशोगी की दो अक्टूबर 2018 को तुर्की के इस्तांबुल शहर
में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में मोहम्मद बिन सलमान से संबंधित लोगों
ने हत्या कर दी थी। वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और "वाशिंगटन
पोस्ट" अखबार में लेख लिखते थे और शहजादे की नीतियों के कटु आलोचक थे।
खशोगी
के शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे और उनके अवशेष कभी नहीं मिले। सऊदी
अरब को आखिरकार मानना पड़ा कि खशोगी की हत्या गलती से हुई थी हालांकि
हत्याकांड में शहजादे की संलिप्तता से इनकार किया था।
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