भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि बीते साल
दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय कंपनियों के बाजार पूंजीकरण
(मार्केट कैप) में सबसे तेज वृद्धि हुई। हालांकि, इस दौरान देश के सकल
घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आई। इससे देश की वित्तीय स्थिरता को लेकर
जोखिम पैदा हो सकता है।
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने
नोट में कहा कि खुदरा निवेशकों ने बाजार में काफी रुचि दिखाई है। वित्त
वर्ष 2020-21 में खुदरा निवेशकों की संख्या में 1.42 करोड़ की बढ़ोतरी हुई।
वहीं अप्रैल और मई में इनकी संख्या 44 लाख और बढ़ गई।
देश के सबसे
बड़े बैंक के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इस दौरान शेयर बाजारों में वृद्धि
की वजह यह रही है कि अन्य वित्तीय उत्पादों पर रिटर्न की दर कम है। साथ ही
वैश्विक स्तर पर तरलता बेहतर हुई। इसके साथ ही आवाजाही पर अंकुशों की वजह
से लोग घर पर ज्यादा समय बिता रहे हैं जिससे वे अधिक ट्रेडिंग कर रहे हैं।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स अप्रैल, 2020 में 28,000 था, जो फिलहाल 52,000 अंक के स्तर से अधिक पर है।
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा, ‘‘शेयर बाजारों में ऐसे समय बढ़त जबकि
वास्तविक अर्थव्यवस्था में कोई उल्लेखनीय घटनाक्रम नहीं हो रहा है, से
वित्तीय स्थिरता का मुद्दा पैदा हो सकता है। हमारे वित्तीय स्थिरता सूचकांक
के अनुसार इसमें अप्रैल, 2021 में सबसे कम सुधार हुआ है।’’
यहां उल्लेखनीय है कि पूर्व में रिजर्व बैंक की शेयर बाजारों में
जोरदार तेजी की वजह से वित्तीय स्थिरता के जोखिम का अंदेशा जता चुका है।
नोट में कहा गया है कि बीते साल बीएसई में 1.8 गुना की बढ़ोतरी हुई, जो
प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। इस दौरान रूस के बेंचमार्क में
1.64 गुना, ब्राजील में 1.60 गुना और चीन में 1.59 गुना की वृद्धि हुई।
Post Top Ad
Wednesday, 23 June 2021

Home
Economics
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा, वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम है शेयर बाजारों की जोरदार तेजी
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा, वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम है शेयर बाजारों की जोरदार तेजी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment