डब्ल्यूएचओ
ने कहा, “उसकी ओर से बुलाई गई दुनियाभर के नियामक विशेषज्ञों से बने
तकनीकी सलाहकार समूह ने यह निर्धारित किया है कि कोवैक्सीन कोविड-19 से
सुरक्षा के लिए उसके मानकों को पूरा करती है। वैक्सीन का लाभ जोखिम से कहीं
अधिक है और वैक्सीन का उपयोग किया जा सकता है।”
डब्ल्यूएचओ
ने कोवैक्सीन को दूसरी खुराक के 14 दिनों बाद 78 प्रतिशत प्रभावी माना है।
साथ ही भंडारण में आसानी के चलते इसे मध्यम और निम्न आय वाले देशों के लिए
अत्यंत उपयुक्त बताया है।
विश्व
संस्था ने आगे कहा कि कोवैक्सीन की भी डब्ल्यूएचओ के स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी
ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनाइजेशन (एसएजीई) द्वारा समीक्षा की गई थी।
टीके को दो खुराक में चार सप्ताह के अंतराल के साथ 18 और उससे ऊपर आयु
समूहों के लोग ले सकते हैं।
संगठन
ने हालांकि गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीन सुरक्षित होने को अभी मान्यता
नहीं दी है। उसका कहना है कि गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण पर उपलब्ध डेटा
गर्भावस्था में वैक्सीन सुरक्षा या प्रभावित होने का आकलन करने के लिए
अपर्याप्त हैं। संस्था का कहना है कि वह अभी आगे अध्य्यन की योजना बना रही
है। इसमें गर्भावस्था उप-अध्ययन और गर्भावस्था रजिस्ट्री शामिल है।
उल्लेखनीय
है कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन को मंजूरी का मामला काफी समय से
डब्ल्यूएचओ के पास लंबित था। इसी बीच कई देशों ने भारत की इस वैक्सीन को
अपने यहां आवाजाही के लिए अनुमति प्रदान कर दी थी। वैश्विक स्तर पर इसे
मंजूरी नहीं मिलने के कारण कई भारतीयों को विदेश जाने में समस्याओं का
सामना करना पड़ रहा था।
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