कल नीतीश कुमार जयनगर दौरे पर निकले तो गरीबों की झोपड़ियों को ढंक दिया गया। जैसे मोदी ने ट्रम्प के अहमदाबाद दौरे पर अपने ही राज्य की झौपड़ियों को ढक दिया था. मोदी भी गुजरात में 15 साल मुख्यमंत्री रहे. बिहार में भी 15 साल से भाजपा- नीतीश कुमार के गठबंधन की सरकार है.
जब गरीबों को देखना ही नहीं है तो दौरा किसके लिए करते हैं? ये कैसे जनप्रतिनिधि हैं? या शर्म आती है अपना ही विकास देखकर? इंदिरा गांधी का नारा था "गरीबी हटाओ", भाजपा और नीतीश कुमार का नारा है "गरीबों को ही हटाओ, गरीबी को छुपाओ".
एक लोकतांत्रिक देश में इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है? कि 15 साल का मुख्यमंत्री जनता की शक्ल भी नहीं देखना चाहे.
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