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Monday, 22 June 2020

नफरत के साए में देश और दलाल मीडिया

नफरत के साये में देश :-

गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय वीरों के शव उनके घरों तक पहुँचने लगे हैं। यह हैरानी का विषय है कि इन वीरों के शवों को दिल्ली में इकट्ठा करके प्रधानमंत्री द्वारा उनकी परिक्रमा नहीं की गयी।

पुलवामा में शहीद हुए वीरों के शवों को यह तमाशा दिखाया गया , सारे शव घंटों प्रधानमंत्री का इंतज़ार करते रहे और प्रधानमंत्री काली चादर लपेटे चेहरे पर गुस्से और तेज़ का मिश्रण लिए इन शवों की परिक्रमा करते रहे और देश के सभी दलाल चैनल इसकी लाईव कवरेज करके देश को देशभक्ति की भावना में बहाते रहे।

आज यह सब पूरा स्क्रिप्टेड लगता है।

यह चुनाव की तैय्यारी थी , पाकिस्तान के विरुद्ध माहौल बनाकर देश के अपने नागरिकों के एक वर्ग के खिलाफ ध्रुविकरण करने की भयावह चाल थी।

बात बात पर लाहौर , मुज़फ्फराबाद और बलुस्चितान में तिरंगा झंडा फहराने का नारा लगाकर देश के नागरिकों के ही एक वर्ग को चिढ़ाने वाली भगवा ब्रिगेड गायब है और वह अपनी ही गलवान घाटी में फिर से तिरंगा फहराने का नारा नहीं लगा पा रही।

भाई , आप लाहौर में तिरंगा लहराओ , बलुस्तान और मुजफ्फराबाद में तिरंगा लहराओ हमारे लिए तो यह गर्व की बात है , बल्कि कराची , इस्लामाबाद , हैदराबाद , फैसलाबाद को क्युँ छोड़ रहे हो ? वहाँ भी तिरंगा लहराओ , ढाका ने क्या गुनाह किया है ? वहाँ भी लहरा दो , हम तो चाहते ही हैं कि जो 1947 में अलग हुए सब आज एक हो जाएँ। हम अखंड भारत के आपके अभियान के साथ हैं।

पर जो लद्दाख खंड खंड हो गया उसका क्या ? गलवान घाटी का क्या ? उस पर झंडा कौन फहराएगा ? उसपर भगवा ब्रिगेड को साँप क्युँ सूँघ गया।

ब्रिटेन से निकलने वाले "द टेलिग्राफ" ने गलवान घाटी पर भारतीय सैनिकों की शहादत की खबर प्रातः 8:10 मिनट पर ब्रेक कर दी , चीन की मीडिया "ग्लोबल टाइम्स" ने तड़के सुबह ही इस खबर को ब्रेक कर दी।

तो भारत की मीडिया ने यह खबर दिन में 1•30 बजे क्युँ दिखाई ? देश की जनता से पूरे 6 घंटे तक इस खबर को क्युँ छुपाया गया ? यह स्वतंत्र भारत में सवाल पूछने की किसी की हिम्मत नहीं।

क्या चीन को ₹1126 करोड़ के प्रोजेक्ट को दे देने की प्रक्रिया पुर्ण होने का इंतज़ार किया जा रहा था ? विदेशी मीडिया जब 20 से अधिक भारतीय जवानों की शहादत सुबह से ब्रेक कर रहा था तो भारत की मीडिया पहले 3 और फिर 8 घंटे बाद 20 की खबर क्युँ दिखाई ? किसके इशारे पर मामले को ठंडा करते हुए शहीदों की संख्या 14 घंटे तक छुपाई ?

दरअसल खबरों को भी लेकर एक व्यवस्था बना दी गयी है कि भारतीय मीडिया तब तक कोई खबर नहीं दिखाएगा जबतक कि भक्त और भक्तिन प्रेम प्रकाश और स्मिता प्रकाश की ANI (Asian News International) खबर को उस तरीके से दिखा ना दे जिस तरीके से सरकार दिखाना चाहती है। फिर देश में खबरें उसी ढर्रे पर चलने लगती हैं।

देश इनकी राजनीति में बर्बाद हो रहा है , गलवान घाटी हाथ से जा चुकी है , पाकिस्तान के खिलाफ बात बात पर थुथने फड़काने वाला देश का नेतृत्व गलवान घाटी में जवानों की शहादत के बाद शांति की बात कर रहा है।

देश अब 1962 वाला देश नहीं रहा , यलगार होना चाहिए मोदी जी , जवानों के बलिदान पर प्रवचन देने की बजाय गलवान घाटी पर सर्जिकल स्ट्राईक करके वापस कब्जे में लीजिए , देश आपके साथ है।

पर मुझे पता है कि 9 साल में 9 बार चीन जाने वाले महोदय  तुमसे ना होगा , तुम तो बस पिद्दी से पाकिस्तान के सामने शेर हो।

इससे देश में अपने ही नागरिकों के एक वर्ग के खिलाफ नफरत जो बढ़ती है।

लेखक : मो जाहिद की वाल से प्रकाशित।

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