एक दिन अपनी पार्टी मीटिंग में मोई जी एक जिन्दा मुर्गा ले के पहुंचे ओर भरी मीटिंग में उसने उस मुर्गे के पंख को खींच- खींच कर फेंकने लगा, मुर्गा तड़पने लगा।
मीटिंग में उपस्थित सभी नेता हक्के बक्के एक दूसरे को देखने लगे !.......मोई जी ने बिना दया किये मुर्गे के एक एक कर के सारे पंख नोच डाले, फिर जमीन पर फेंक दिया। फिर उन्होंने अपने सामने रखी दो कटोरियो से थोड़े थोड़े दाने निकाले ओर बारी बारी से उस मुर्गे के आगे डाल दिया।
मुर्गा दाने खाने लगा और मोई जी के पैर के पास आकर बैठ गया।....मोई जी ने और दाने डाले तो मुर्गा वह भी खा गया और मोई जी के आगे- पीछे घूमने लगा
मोई जी ने अपनी पार्टी के नेताओं से कहा,........
“हमारे भक्त इस मुर्गे की तरह होते है, आप नोटबंदी कर दो ये लोग बैंक के बाहर लाइन लगा लेंगे , जीएसटी लगा दो यह रजिस्ट्रेशन कराएंगे ओर हर महीने टेक्स भी भरेंगे, जनता कर्फ्यू में इनसे ताली थाली बजवा लो ये झूम झूम कर बजाएंगे, 2 महीने का लॉक डाउन कर इनकी आर्थिक स्थिति तहस नहस कर दो ये कुछ नही बोलेंगे, फिर अनलॉक कर इनको बोल दो अब बाहर जाकर काम करो ये चुपचाप काम मे लग जाएंगे, कच्चा तेल सस्ता भी हो जाए तो भी पेट्रोल डीजल महंगा कर दो तो भी ये कुछ नही बोलेंगे !..... ये तड़फड़ा भी जाएंगे तो भी चुपचाप ही रहेंगे हमारी तरफ झपटना तो दूर हमे देखकर कुकडु कू भी नही बोलेंगे..... बस आपको करना इतना ही है कि उनकी तरफ धर्म और राष्ट्रवाद की इन दो कटोरियो से निकले हुए दाने फेकने है जैसे ही ये दाने चुगेंगे आपके आगे पीछे घूमने लगेंगे वह यह तक भूल जाएंगे कि उनकी बदतर हालत करने वाले आप ही थे........
मोई जी की बात सुनकर तमाम नेता एक स्वर में बोले .....वाह मोई जी वाह.........
व्यंग : गिरीश
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