जहां विकास दुबे पाया गया, रात में उसी मंदिर में डीएम और एसपी मौजूद थे. खबर है कि रात साढ़े दस बजे के आसपास उज्जैन के डीएम और एसपी भारी हड़बड़ाहट में उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचे थे. अब रात के दस बजे हड़बड़ाहट में दर्शन करने तो कोई जाने से रहा! फिर क्या करने गए थे? खैर, अधिकारी हैं, गए होंगे, कौन रोकेगा?
लेकिन सुबह वहां से विकास निकला और चिल्लाकर सबको बताया कि मैं कानपुर वाला विकास हूं.
अब गार्ड कह रहा हमने देखा, पुलिस कह रही दुकानदार ने देखा, कुछ खबरें कह रहीं कि पुजारी ने देखा. यूपी पुलिस कह रही हमने कुछ नहीं देखा. कुछ रिपोर्ट कह रहीं कि विकास ने मौका देखा, फिर गार्ड से बोला कि मुझे देखो. उसे देखते ही गार्ड ने पुलिस को देखा, फिर पुलिस ने विकास को देखा. फिर दोनों को एक साथ मीडिया ने देखा. अब पूरा देश देख रहा है.
इस देखम-देखी में उस हाथ को किसी ने नहीं देखा, जिसे देखा जाना चाहिए था. कल मैंने लिखा था कि विकास दुबे पर्दे के पीछे छुपी अपराधी सियासत के हाथों का देसी कट्टा है, जो इस बार बैकफायर कर गया है.
खुदा खैर करे!
कृष्ण कांत
No comments:
Post a Comment