वेडिंग फोटोग्राफर्स_के_लिए दो शब्द, विरोध आखिर किस बात का?
किसी भी विषय में बोलने से पहले सोच लिया करिए।
इसीलिए कहता हूं आज की डेट में किसी भी फिल्ड में जाने से पहले उसके बारे में रिसर्च करिए। पढ़िए लिखिए। उसकी बिजनेस की ट्रेन्डेंसी को समझिए। पर नहीं मुंह उठाकर कोई भी चला आता है फोटोग्राफी का बिज़नेस करने। प्रॉब्लम तो होगी ही कंपनी को गाली देंगे। कोरोनावायरस को कोसेंगे। या फिर कस्टमर को कहेंगे। इन सब चीजों को रोक नहीं पाएंगे क्योंकि कभी आपने इनसे लड़ने का सोचा ही नहीं। बस धंधे में मगन रहे है। 10 या 20 परसेंट प्रोफिट पर भी बड़े-बड़े अमाउंट का काम करते है क्यों करते है। अगर आपने अच्छे काम किए होते। तो आज की तारीख में कंपनी को न कोस रहे होते बिजनेस माइंड की तरह सोचिये।
कभी देखा है की कॉरपोरेट लेवल के फोटोग्राफर्स ने कंपनियों का विरोध किया हो या अपग्रेडेशन पर सवाल उठाया हो। नहीं! क्योंकि वह लोग बिजनेस करते हैं आप लोग की तरह 10 या 5000 बचने में भी काम नहीं करते। इसीलिए ये लोग कोरोना को भी झेल गये। और हां अगर कोरोनावायरस 2 साल भी रह जाए तो ये लोग झेल लेंगे क्योंकि ये लोग एक मजबूत पेड़ की तरह है छोटे-मोटे तूफान में उखाड़ने वाले नहीं है कोरोना के इस तूफान में मजबूत पेड़ ही बचे हैं बाकी जो कमजोर और लतर वाले थे। वह सब उखड़ गए।
कंपनियां गलत नहीं है गलत तो हम लोग हैं कंपनी का क्या है उनका तो बस एक नैरेटिव सेट है आप सोचते हैं फोटोग्राफी की फील्ड में ही ऐसा है जी बिल्कुल नहीं! टेक्नोलॉजी के हर क्षेत्र में कंपनियों ने अपने बिजनेस की चैन को स्थापित कर लिया है कैसे मैं आपको बताता हूं।
आप सभी को याद होगा कि आज से 10 से 12 साल पहले जब डिजिटल का नया-नया युग था। तो उस समय d40 और डी60 जैसे कैमरे चला करते थे। और वीडियो में हैंडी या md-9000 औऱ 10000 चला करते थे। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर भी बहुत हल्के हुआ करते थे। नॉर्मल से नॉर्मल कॉन्फ़िगर वाले कंप्यूटर पर भी चलते थे। फिर हुआ क्या सॉफ्टवेयर में अपग्रेड आया फोटोशॉप 7.0 की जगह लोग cs3 और cc पर आ गए। वीडियो में भी सेम यही हुआ जहां पिनेकल में वीडियो बन जाया करती थी। उसका रूप eduis और प्रीमियर प्रो ने ले लिया। जिसके लिए हैवी कॉन्फ़िगर कंप्यूटर लेना पड़ता है।
आज की डेट में लगभग 70% लोगों के पास प्रीमियर प्रो, eduis और फोटोशॉप सीसी है जिसके लिए मजबूरी में आपको हैवी कॉन्फ़िगर कंप्यूटर लेना पड़ता है यह चैन सॉफ्टवेयर से ही नहीं बनी हुई है इसका सीधा-सीधा संपर्क कैमरे और मोबाइल से जुड़ा हुआ है कैमरे अपडेट होते गए d40 और 60 के बाद नया d 90 आया 7000, फुल फ्रेम और आज की डेट में अपग्रेड होते-होते हम लोग मिररलेस पर पहुंच चुके हैं जिन की फाइलें आज से 10 साल पहले वाले यह कह लीजिए जो अच्छे कॉन्फ़िगर वाले कंप्यूटर हैं उन पर भी सपोर्ट नहीं करती है हैवी कॉन्फ़िगर आपको लेना ही पड़ेगा। मतलब समझ रहे हैं ना! इधर कैमरा अपग्रेड होता है उधर उसके लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सब कुछ अपग्रेड होता है।
हम लोग केवल कैमरा ही प्रयोग करते हैं सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में हम लोग का 20% भी हस्तक्षेप नही है कैमरा अपग्रेड होगा तो उस पर चलने वाली फाइल के लिए हमें। अच्छा सॉफ्टवेयर और मजबूरन हैवी कॉन्फ़िगर का कंप्यूटर लेना पड़ेगा। सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर अपग्रेड होगा तो मजबूरन हमें कैमरा लेना पड़ेगा।
कंपनियां गलत नहीं है उनकी बिजनेस चैन बहुत बड़ी है और हम उनके सामने तिनके के बराबर भी नहीं है हम उनका कुछ नहीं उखाड़ सकते। अगर बदलाव लाना है तो अपने बिजनेस के तरीके में लाइये काम में क्वालिटी रखिये। कस्टमर डीलिंग बढ़िया रखिये। कस्टमर को दिखाने के लिए अच्छा पोर्टफोलियो बनाइये। काम पाने के लिए अपने कांटेक्ट पर डिपेंड न रहकर डिजिटल मार्केटिंग की तरफ मुंव करिये। आजकल टेक्नोलॉजी का जमाना है यूट्यूब पर सारी चीजें उपलब्ध है यूट्यूब से सीखिये। अपने काम में गुणवत्ता लाइए। स्वतः ही सारी प्रॉब्लम सॉल्फ़ हो जाएगी। कंपनी को दोष नहीं देना पड़ेगा। अभी कुछ दिन पहले फोटोग्राफर सोसाइटी ऑफ़ प्रयागराज हमारी संस्था ने बहुत बढ़िया वर्कशॉप कराई थी। "राजा अवस्थी" जी की। उनकी एक एक बात फोटोग्राफर के लिए परफेक्ट थी। कोई मुझे बताएं उनसे कितने लोगों ने क्या-क्या सीखा।
प्रशांत जायसवाल
(मीडिया प्रभारी)
फोटोग्राफर सोसायटी ऑफ़ प्रयागराज
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