कहते है दर्द और जिंदगी का एक प्रकार का चोलीदामन का रिश्ता होता है लेकिन दर्द सहने की भी एक सीमा निर्धारित होनी चाहिए वर्ना दर्द भी इतना दर्दनाक हो जाता है कि दर्द को दर्द से डर लगने लगता है! 11 आपरेशन के बाद भी चेहरे मे शिकन नहीं आज की डायरी मे जिस महिला की बात हो रही है उनका नाम निशा शर्मा है पेशे से शिक्षिका है पति कंप्यूटर आपरेटर है! मै दावे के साथ कह सकता हूँ पूरे भारत मे मेरी जानकारी मे निशा शर्मा का केस कोरोना पाजेटिव मे सबसे भयावह है जिनके बारे मे आज जानकर मेरी जमीन खिसक गयीl
चर्चा मे निशा जी ने मुझे बताया कि मूलतः वो गौरेला पेंड्रा की निवासी है कुछ साल पहले एक घटना में दुर्घटना के चलते उनके हिप रिपलेशमेंट का आपरेशन हुआ था जैसे तैसे जिंदगी चल रही थी कि एक सड़क दुर्घटना मे दोनों पैर मे गंभीर चोट आया जिसमें एक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया! निशा शर्मा ने बताया लगभग ग्यारह आपरेशन झेल चूकी है एम्स के चिकित्सक लगातार उनकी ईलाज मे दिन रात एक किये हुए थे! कि अचानक ढाई महीने ईलाज करवाते करवाते निशा कोविड पाजेटिव हो भी गई! दोनों पैर मे पस भरने के कारण भयंकर टीस उठती है कोरोना के कारण ईलाज करने मे डाक्टरो को दिक्कत का सामना करना पड रहा है !एम्स प्रबंधन और चिकित्सकों के लिये निशा का केस बेहद खतरनाक स्थिति में है जिसे सुलझाने का वो लगातार प्रयास कर रहे!
इतने सबके बावजूद निशा शर्मा कहती है कि भैया मैं आखरी सांस तक इस लड़ाई को लडूगीं ! उनके साहस जज्बे को देखकर यकीन हो गया कि छत्तीसगढ़ महतारी की बेटी का साक्षात स्वरूप निशा शर्मा मे विद्यमान है वर्ना आप और हम कब से आत्महत्या तक कर चुके होते! सोचिये लाखों रूपये खर्च हिप रिप्लेशमेंट उसके बाद ये दोनों पैर का आपरेशन फिर ये कोरोना! पृथ्वी मे जननी को शायद इसलिए सबसे सहनशील माना गया है! बहन निशा को जिस भी चीज की आवश्यकता है उसके लिये मैं तब तक यहाँ हूँ कटिबद्ध हूँ! मित्र रविकांत तिवारी से कुछ जरूरी सामान भी मंगवाकर भी दिया! नित्यकर्म से लेकर सभी कार्य मे उनकी छोटी सी मासूम बहन सहारा का है दोनों बहन का प्रेम देखते बनता है! निशा जी के लिये एक शेर फिट बैठता है! कुछ रहम कर ए ज़िन्दगी,थोड़ा संवर जाने दे....तेरा अगला जख्म भी सह लेंगे..पर पहले वाला तो भर जाने दे।
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