सबके राम :-
नेपाल सदैव से एक "हिन्दूराष्ट्र" रहा है , प्रतिशत के आधार पर वह दुनिया का सबसे अधिक प्रतिशत हिन्दू आबादी वाला देश रहा है।
कल नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हमारे "राम" पर अपना दावा ठोंक दिया। यद्धपि राम तो सबके हैं , पूरे विश्व के हैं , पर यह दावा करना कि वह भारत में नहीं बल्कि नेपाल में पैदा हुए , यह उनके जन्मस्थान को भारत से छीनने जैसा ही है।
पहले देखते हैं कि "ओली" ने क्या कहा। (वीडियो कमेन्ट बाक्स में है)
"अयोध्या (Ayodhya) नेपाल में है और भारत ने एक नक़ली अयोध्या को दुनिया के सामने रखकर सांस्कृतिक अतिक्रमण किया है. ओली यही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि भगवान राम (Lord Ram) नेपाली हैं, ना कि भारत के। नेपाल के प्रधानमंत्री ने अपने निवास पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत ने 'नकली अयोध्या' को दुनिया के सामने रखकर नेपाल की सांस्कृतिक तथ्यों का अतिक्रमण किया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या, भारत के उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि नेपाल के बाल्मिकी आश्रम के पास है"
https://khabar.ndtv.com/news/india/nepal-pm-kp-sharma-olis-controversial-statement-real-ayodhya-lies-in-nepal-not-in-india-2262146
राम पर भारत के अतिरिक्त किसी और देश का यह पहला दावा नहीं है। ओली के बयान पर कोई तथ्यात्मक जवाब देने की बजाय कहा जा रहा है कि तो राम क्या रावण से लड़ने श्रीलंका की बजाय चीन गये थे ?
पहली बात तो यह कि ना तो "वाल्मिकी रामायाण" और ना गोस्वामी तुलसीदास की लिखी "राम चरित मानस" में कहीं भी "श्रीलंका" का ज़िक्र नहीं है बल्कि "लंका" का ज़िक्र है। "रावण की लंका" और दूसरी बात यह कि जो आज वर्तमान श्रीलंका है वह हमेशा से "सीलोन" (अंग्रेजी Ceylon) था, जिसे 1972 में बदलकर "लंका" तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया।
तो "रावण की लंका" यदि "श्रीलंका" को मिलते जुलते नाम के कारण समझा जा रहा है तो गलतफहमी दूर कर लीजिए।
13 लाख साल पहले जन्में त्रेतायुग के राम पर कई देशों का दावा है , जिनका दावा है कि राम उनकी धरती पर जन्म लिए। इंडोनेशिया , नेपाल , पाकिस्तान और थाईलैंड।
थाईलैंड की तो अभी तक चली आ रही राजशाही ही राम की वंशज कहलाती है।
आईए देखते हैं इन देशों के दावों का आधार।
इंडोनेशिया :- इंडोनेशिया 90% मुस्लिम जनसंख्या वाला देश है , पर वहाँ के हर एक के लिए "राम" के प्रति सम्मान है।
वहाँ राम को लेकर जो पुस्तक पढ़ी जाती है उसे "रामकथा" कहते हैं। साल 1973 में यहां ची सरकार ने "अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मलेन" का आयोजन भी किया था। ये अपने आप में काफी अनूठा आयोजन था क्योंकि घोषित रूप से कोई मुस्लिम राष्ट्र पहली बार किसी अन्य धर्म के धर्मग्रन्थ के सम्मान में इस तरह का कोई आयोजन कर रहा था।
इंडोनेशिया में आज भी "रामकथा" का इतना गहरा प्रभाव है कि देश के कई इलाकों में रामायण के अवशेष और पत्थरों तक की नक्काशी पर रामकथा के चित्र आसानी से मिल जाते हैं"
इंडोनेशिया की मान्यता है कि राम उसकी धरती पर जन्म लिए थे और वह जगह "योग्या" के नाम से स्थित है , योग्या में राम का जन्मस्थान से लेकर पूरा महल मौजूद है।
https://m.youtube.com/watch?v=e33cCvZmEW0
यहां राम कथा को ककनिन, या 'काकावीन रामायण' नाम से जाना जाता है। यहां राम कथा को ककनिन, या ‘काकावीन रामायण’ जिसके रचयिता "कवि योगेश्वर" हैं।
इंडोनेशिया की रामायण में नौसेना के अध्यक्ष को "लक्ष्मण" कहा जाता है, जबकि सीता को "सिंता" कहते हैं। हनुमान तो इंडोनेशिया के सर्वाधिक लोकप्रिय पात्र हैं।
हनुमान की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी हर साल इस मुस्लिम आबादी वाले देश के आजादी के जश्न के दिन यानी की 27 दिसंबर को बड़ी तादाद में राजधानी जकार्ता की सड़कों पर युवा हनुमान का वेश धारण कर सरकारी परेड में शामिल होते हैं. बता दें कि हनुमान को इंडोनेशिया में ‘अनोमान’ कहा जाता हैं।
थाईलैंड :- थाईलैंड में एक अयोध्या हैl
थाईलैंड की राजधानी बैंकाक से 80 किमी दूर स्थिति यह "अयोध्या" सन 1285 से भी पहले की है इसका सबूत यह है कि वहाँ सन् 1285 ईस्वी में लिखा एक शिलालेख मिला है जो आज भी बैंकाक के राष्ट्रीय संग्राहलय में रखा हुआ है। इसमें राम के जीवन से जुडी घटनाओं और भौगोलिक क्षेत्रों का विवरण मिलता है।
आपको संभवतः पता नहीं होगा तो बताता चलूं कि दुनिया में देह व्यापार के सबसे बड़े बाज़ारों में शामिल थाईलैंड में आज भी संवैधानिक रूप में "रामराज्य" है। बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग वहां अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं , इसलिए, थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है l
वहाँ आज भी ‘राम दशम’ का राज है जो अपने आप को भगवान राम का वंशज मानते हैं। "वजीरालंगकोर्न" यानी ‘राम दशम’ 16 अक्टूबर 2017 को 64 वर्ष की आयु में लेकिन अपने पिता की मृत्यु के 50 दिवसीय शोक के बाद 1 दिसंबर 2016 को राजगद्दी पर आसीन हुए थे। थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई थी।
थाईलैंड का प्राचीन नाम "सियाम" था ! यह ऐतिहासिक सच है कि सन् 1612 तक सियाम की राजधानी अयोध्या ही थी। लोग इसे वहाँ की भाषा "अयुतथ्या" के नाम से जानते हैं। सन् 1612 ईस्वी में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक शिफ्ट की गई थी।
इस स्थान पर "यूनेस्को" के संरक्षण में आज भी पुरातात्विक साक्ष्यों की खोज में खुदाई का काम चल रहा है। इस पुरानी अयोध्या की इमारतों की भव्यता देखने लायक है। भगवान श्री राम से संबंधित इतने भव्य साक्ष्य तो भारत में भी उपलब्ध नहीं है।
http://www.thailand-guide.com/ayutthaya/ayutthaya-world-heritage.htm
http://whc.unesco.org/en/list/576
थाईलैंड के लोग इसे “महेंद्र अयोध्या” भी कहते है l अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या l थाईलैंड के जितने भी राम (राजा) हुए हैं सभी इसी अयोध्या में रहते आये हैं l
सनातन धर्म के "भगवान राम" के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है वे पूजनीय हैं।
थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ "रामायण" है l जिसे थाई भाषा में ‘रामिकिन्ने’ कहते हैं l जिसका अर्थ "राम-कीर्ति" होता है।
नेपाल :- नेपाल के प्रधानमंत्री के अनुसार ओली के अनुसार राम का जन्मस्थान और उनकी अयोध्या नेपाल के वीरभूमि जिले की "थोरी" शहर में है। तो भारत में यह मान्यता पहले से ही है कि सीता जी नेपाल के "जनकपुर" की थीं।
नेपाल में "सीता" का एक महत्व है , वहाँ सीता के "जानकी मंदिर" लगभग हर जगह मिल जाएँगे। यही नहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन मंदिरों में अपनी हर यात्रा में दर्शन भी कर चुके हैं।
https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/prime-minister-modi-visited-janaki-temple-in-nepal/articleshow/64120473.cms
ओली के दावे का आधार जनकपुर और उससे कुछ दूर बसा "थोरी" शहर है जहाँ रामजन्मस्थान और उनका पूरा महल मौजूद है।
पाकिस्तान :-भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व अधिकारी "जस्सू राम’ और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अन्य पुरातत्वविदों (एएसआई) के शोध पत्रों का हवाले से यह दावा किया जाता है कि असली अयोध्या अयोध्या पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तूनख्वा) के डेरा इस्माइल खान जिले में है।”
वहाँ खुदाई में ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिससे यह दावा किया जाता है कि वहाँ दो अयोध्या है। एक अयोध्या का निर्माण राजा रघु द्वारा करवाया गया था, जो राम के परदादा थे, जबकि दूसरी अयोध्या का निर्माण भगवान राम ने स्वयं करवाया था।
“जस्सू राम" ने ‘एनशियंट जियोग्राफी ऑफ द रामायण’ मे कहा है कि दोनों अयोध्या पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तूनख्वा) के डेरा इस्माइल खान जिले में है।”
यह तो रही राम के जन्म को लेकर विदेशी दावे। पर आपको क्या पता है कि मौजूदा भारत में ही रामजन्मस्थान को लेकर 7 जगह दावे किए जाते हैं ?
खुद भारत की अयोध्या में 6 ऐसे मंदिर हैं जहाँ रामजनस्थान मानकर 1989 के पहले तक पूजा होती रही है उसमें एक तो राजा दशरथ के "कनक महल" में स्थित मंदिर है।
एक जन्मस्थान , कुरुक्षेत्र में है और वहाँ भी "राम जन्मस्थान" मंदिर है , वहाँ के लोग इस आधार पर दावा करते हैं कि चुँकि महारानी कौशल्या कुरुक्षेत्र की थीं और पहला बच्चा जन्म देने महिलाएँ मायकें आती थीं इसलिए राम इस स्थान पर जन्में थे।
खैर , ताजा दावा नेपाल का है , जिसे प्रमाणिक तथ्यों के आधार पर जवाब देना चाहिए वर्ना यदि नेपाल ने यदि सिद्ध कर दिया कि राम का जन्म उसके वहाँ हुआ था तो यहाँ भारत के लोगों की उच्चतम न्यायालय प्रमाणित भावना का क्या होगा ?
लेखक एक जाने माने स्तंभकार है, नाम इसलिए नहीं दिया जा रहा है क्योंकि नाम में लोग जाती और धर्म ढूंढ़ लेते है।
No comments:
Post a Comment