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Monday, 6 July 2020

दुर्गम आदिवासी इलाकों में शिक्षा की अलख जगा रहे विद्या भारती के आचार्य

भोपाल, 05 जुलाई (हि.स.)। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आज पूरा देश गुरुओं के योगदान को याद कर रहा है। गुरु और शिष्य के संबंधोंको जीवंत करने का ऐसा हि एक प्रयास विद्या भारती मध्य भारत प्रांत एकल विद्यालयों के माध्यम से कर रहा है। विद्या भारती सुदूर वनांचल और दुर्गम क्षेत्रों के छात्र छात्राओं को शिक्षा तक शिक्षा की अलख पहुंचा रही है। विद्या भारती के द्वारा प्रदेश के 4 जिलों में एकल विद्यालयों का संचालन किया जाता है, जिनमें ना केवल विद्यार्थियों को विषयगत शिक्षा दी जाती है, बल्कि संस्कार एवं छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए विद्या भारती के आचार्यविभिन्न गतिविधियों का आयोजन करते हैं।


650 एकल विद्यालयों के माध्यम से शिक्षित हो रहे 12 हजार से अधिक विद्यार्थी 
विद्या भारती मध्य भारत प्रांत दुर्गम क्षेत्र में रहने वाले ऐसे विद्यार्थी जिनतक सुविधाएं नहीं पहुँच पातीं को शिक्षा के साथ संस्कार से जोड़ने के उद्देश्य से रायसेन, होशंगाबाद, बैतूल और हरदा  जिले में 650 से अधिक एकल विद्यालय संचालित करती है। इन एकल विद्यालयों में क्षेत्र के  लगभग 12000 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे। एकल विद्यालयों को विशेष तौर पर आदिवासी व वनांचल बहुलजिलों में संचालित किया जा रहा है। बैतूल जिले के जनजातीय क्षेत्रों में 165 से अधिक एकल विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं।

3 घंटे की होती है क्लास
एकल विद्यालयों में शिक्षक विद्यार्थियों की आवश्यकता अनुसार 3 घंटे कीक्लास लेते हैं जिसमें विद्यार्थियों को 30-30 मिनट के कालांश में कक्षा अनुसार विषय की पढ़ाई कराई जाती है। इसके साथ हीं शिक्षक विद्यार्थियों को बौद्धिक रूप से मजबूत करने के लिए प्रत्येक दिन अलग-अलग बौद्धिककथाएँ, देशभक्ति गीत आदि का होमवर्क भी देते हैं।

बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए दी जाती है समाजिक शिक्षा 
इन एकल विद्यालयों के माध्यम से विद्या भारती छात्र छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करती है। इस 3 घंटे की क्लास में बच्चों को उनके सिलेबस के अलावा सामाजिक शिक्षा भी दी जाती है जिसमें बच्चों को स्वच्छता, पर्यावरण हेतु जागरूक किया जाता है एवं जल संरक्षण के लिए  वाटर हार्वेस्टिंग आदि की जानकारी देकर विद्यार्थियों को आदर्श समाज के निर्माण के लिए तैयार किया जा रहाहै।

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